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RBI के निर्णय के बाद बैंक 8.4 लाख करोड़ रुपये तक के लोन्स का कर सकते हैं पुनर्गठन: रिपोर्ट

एजेंसी ने कहा कि कॉर्पोरेट सेगमेंट के अंदर पुनर्गठन 3.3 लाख करोड़ रुपये से लेकर 6.3 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। PC Pixabay

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Wed, 19 Aug 2020 05:56 PM (IST)Updated: Thu, 20 Aug 2020 08:08 AM (IST)
RBI के निर्णय के बाद बैंक 8.4 लाख करोड़ रुपये तक के लोन्स का कर सकते हैं पुनर्गठन: रिपोर्ट
RBI के निर्णय के बाद बैंक 8.4 लाख करोड़ रुपये तक के लोन्स का कर सकते हैं पुनर्गठन: रिपोर्ट

नई दिल्ली, पीटीआइ। घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने बुधवार को कहा कि हाल ही में घोषित रिकास्ट पैकेज के तहत बैंकों द्वारा प्रणाली के समग्र ऋण का 7.7 फीसद या 8.4 लाख करोड़ रुपये तक के ऋण का पुनर्गठन करने की संभावना है। अगर पुनर्गठन का कदम नहीं उठाया जाता, तो इस 8.4 लाख करोड़ के ऋण के 60 फीसद से अधिक के एनपीए में खिसकने की आशंका थी। पुनर्गठन से बैंकों की आय भी बेहतर होगी, क्योंकि उन्हें अपेक्षाकृत कम प्रावधान करना होगा।

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इस महीने की शुरुआत में, आरबीआई ने रिकास्ट पैकेज की घोषणा की थी। भारतीय रिज़र्व बैंक ने कम मूल्य के नॉन-कॉरपोरेट लोन्स के लिए भी रिकास्ट की अनुमति दी थी। रेटिंग एजेंसी ने कहा, 'पहले के अनुभव के विपरीत, वैश्विक वित्तीय संकट के बाद, जहां लगभग 90 फीसद पुनर्गठन कॉर्पोरेट ऋणों में हुआ, गैर-कॉर्पोरेट सेगमेंट, जिसमें छोटे व्यवसाय, कृषि ऋण और खुदरा ऋण शामिल हैं, इस बार अधिक हिस्सेदारी के लिए जिम्मेदार होंगे।'

एजेंसी का अनुमान है कि रिकास्ट के लिए गैर-कॉर्पोरेट ऋण की कुल राशि 2.1 लाख करोड़ रुपये रहेगी। एजेंसी ने कहा कि महामारी के शुरू होने से पहले ही गैर-कॉर्पोरेट सेगमेंट तनाव के संकेत दिखा रहा था। कॉरपोरेट सेगमेंट में, COVID-19 से पहले ही 4 लाख करोड़ रुपये के ऋणों में खिंचाव था।

एजेंसी ने कहा कि कॉर्पोरेट सेगमेंट के अंदर, पुनर्गठन 3.3 लाख करोड़ रुपये से लेकर 6.3 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। यह बैंकों द्वारा अपनाई गई रणनीतियों पर निर्भर रहेगा। एजेंसी ने कहा की यह रेंज काफी व्यापक है, क्योंकि ऐसा लगता है कि 53 फीसद उच्च जोखिम पर है, जबकि 47 फीसद मध्यम जोखिम पर है।

एजेंसी ने कहा, 'रियल एस्टेट, एयरलाइंस, होटल और अन्य उपभोक्ता विवेकाधीन क्षेत्रों से बड़े स्तर पर ऋण के पुनर्गठन होने की संभावना है, लेकिन मात्रा के आधार पर सबसे बड़ा योगदान बुनियादी ढांचे, बिजली और निर्माण क्षेत्रों से होगा।'


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