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जीडीपी के पूर्व आंकड़े पक्के अनुमान नहीं, जल्द जारी होंगे आधिकारिक आंकड़े

जीडीपी के पूर्व डेटा पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने कहा था कि यूपीए सरकारों ने अब तक का सबसे बेहतरीन दशकीय विकास किया और 14 करोड़ लोगों को गरीबी के दलदल से बाहर निकाला

By Praveen DwivediEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 11:29 AM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 11:29 AM (IST)
जीडीपी के पूर्व आंकड़े पक्के अनुमान नहीं, जल्द जारी होंगे आधिकारिक आंकड़े
जीडीपी के पूर्व आंकड़े पक्के अनुमान नहीं, जल्द जारी होंगे आधिकारिक आंकड़े

 नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। देश में जीडीपी के पूर्व आंकड़ों को लेकर जारी विवाद के बीच, जिसमें कहा गया था कि यूपीए सरकार के दौरान अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर रहा था सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने कहा,"ये आधिकारिक अनुमान नहीं हैं और आधिकारिक डेटा जल्द जारी किए जाएंगे।"

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वास्तविक क्षेत्र के आंकड़ों के विषय में गठित एक समिति की ओर से पेश जीडीपी आकलन के मुताबिक वित्त वर्ष 2006-07 के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था 10.08 फीसद पर पहुंच गई थी। जीडीपी का यह प्रदर्शन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान हुआ जो कि 1991 की आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया शुरु होने के बाद का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है।

जीडीपी के पूर्व डेटा पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने कहा था, "यूपीए सरकारों ने अब तक का सबसे बेहतरीन दशकीय विकास किया और 14 करोड़ लोगों को गरीबी के दलदल से बाहर निकाला।" उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, " सत्य की जीत हुई है। जीडीपी की पिछली श्रृंखला की गणना ने साबित किया है कि आर्थिक वृद्धि की दृष्टि से संप्रग का 2004-14 का कार्यकाल सर्वोत्तम था।"

UPA सरकार के कार्यकाल में आर्थिक अस्थिरता सबसे ज्यादा रही: भल्ला

प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य सुरजीत भल्ला ने कहा है कि देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के नए आंकड़ों से यह वास्तविकता नहीं बदलती है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में आर्थिक अस्थिरता सबसे ज्यादा रही है।

भल्ला ने ट्वीट करके कहा कि ये चर्चाएं हो रही है कि यूपीए के कार्यकाल में बेहतर विकास दर थी इसलिए नीतिगत अपंगता नहीं थी। लेकिन जीडीपी के नए आंकड़े इस वास्तविकता को झुठला नहीं सकते हैं कि उस समय सबसे ज्यादा आर्थिक अस्थिरता रही। उस समय महंगाई उच्चतम स्तर पर थी और केंद्र व राज्यों का राजकोषीय घाटा भी सबसे ज्यादा था। उस समय भ्रष्टाचार और नीतिगत अपंगता भी सबसे ज्यादा थी।


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