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कोविड-19 महामारी के दौरान मनरेगा के तहत बढ़ी मजदूरी, दोगुनी होकर 1,000 रुपये पहुंची: रिपोर्ट

उल्लेखनीय है कि महामारी और उसकी रोकथाम के लिए ‘लॉकडाउन’ के बाद कामकाज ठप होने से करोड़ों की संख्या में कामगार अपने घरों को लौटने को मजबूर हुए। इस दौरान उनके लिए मनरेगा आजीविका का प

By NiteshEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 10:30 AM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 10:30 AM (IST)
कोविड-19 महामारी के दौरान मनरेगा के तहत बढ़ी मजदूरी, दोगुनी होकर 1,000 रुपये पहुंची: रिपोर्ट
कोविड-19 महामारी के दौरान मनरेगा के तहत बढ़ी मजदूरी, दोगुनी होकर 1,000 रुपये पहुंची: रिपोर्ट

नई दिल्ली, पीटीआइ। कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न संकट के बीच महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून, 2005 (मनरेगा) के तहत चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में प्रति व्यक्ति औसत मासिक आय दोगुनी होकर करीब 1,000 रुपये हो गयी। वित्त वर्ष 2019-20 में औसत मासिक आय 509 रुपये थी। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है। उसने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान मानव दिवस के संदर्भ में जितने कार्य क्रियान्वित किये गये, वह पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 25 फीसद अधिक है। इससे गांवों में लोगों की आय बढ़ी।

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उल्लेखनीय है कि महामारी और उसकी रोकथाम के लिए ‘लॉकडाउन’ के बाद कामकाज ठप होने से करोड़ों की संख्या में कामगार अपने घरों को लौटने को मजबूर हुए। इस दौरान उनके लिए मनरेगा आजीविका का प्रमुख सहारा बना। 

क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘चालू वित्त वर्ष में पहले चार महीने में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले मानव दिवस के आधार पर 46 फीसद की वृद्धि हुई। साथ ही योजना के तहत औसत मजदूरी में 12 फीसद की वृद्धि हुई है। और इसका कारण महामारी है जिसने शहरों में काम करने वाले मजदूरों को गांव लौटने को मजबूर किया।’’ 

योजना के तहत प्रत्येक परिवार को एक वित्त वर्ष में कम-से-कम 100 दिन काम देने का प्रावधान है। वित्त वर्ष 2020-21 में मनरेगा के लिये बजट में 61,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। बाद में सरकार ने महामारी के प्रभाव को देखते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मदद के लिये मनरेगा बजट में 40,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की। इसमें से 11,500 करोड़ रुपये का उपयोग 2019-20 के बकाये के निपटान में किया गया। इस प्रकार, चालू वित्त वर्ष के लिये 90,000 करोड़ रुपये बचा। 

रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में ही संशोधित कोष का 50 फीसद से अधिक खर्च किया जा चुका है। योजना की सर्वाधिक मांग हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और गुजरात में हैं। इन राज्यों में कार्य आबंटन सालाना आधार पर 2020-21 के पहले चार महीने में 50 फीसद से अधिक बढ़ा है।


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