कोयले के वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी प्रक्रिया जल्द
सरकार ने निजी क्षेत्र के जरिये वाणिज्यिक उद्देश्य से कोयला खनन के लिए पांच-छह कोल ब्लॉक नीलाम करने की योजना बनाई है
नई दिल्ली (पीटीआई)। आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) जल्द ही वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला खदानों की नीलामी की प्रक्रिया पर फैसला कर सकती है। यह जानकारी अधिकारिक सूत्रों ने दी है। इसके साथ ही निजी क्षेत्र को कोयला खनन करके इसकी बिक्री करने की अनुमति दी जाएगी।
एक सूत्र ने पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि सीसीईए कोयला खदानों की नीलामी के लिए पूरी पद्धति पर फैसला करने वाली है। इस नीलामी में आवंटित खदानों से कोयला निकालकर बेचा जा सकेगा। इस समय सरकार उद्योगों को खुद के इस्तेमाल के लिए कोयला खदानों का आवंटन करती है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया लि. के पास कोयले की खदान करके बिक्री करने का एकाधिकार है। नीलामी के जरिये कोयला खदानें आवंटित करने की पद्धति पर एक परामर्श पत्र सार्वजनिक किया गया था जिससे आम लोगों और सभी पक्षों से सुझाव मांगे जा सकें।
सरकार ने निजी क्षेत्र के जरिये वाणिज्यिक उद्देश्य से कोयला खनन के लिए पांच-छह कोल ब्लॉक नीलाम करने की योजना बनाई है। कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कुछ समय पहले कहा था कि कोल माइन्स (स्पेशल प्रोवीजन) एक्ट 2015 के जरिये इसके लिए व्यवस्था की गई है। इसके तहत कोल ब्लॉकों की बिक्री खुली नीलामी के जरिये की जा सकेगी। वाणिज्यिक खनन के लिए खदानें आवंटित करते समय कोई निश्चित समय अवधि तय नहीं की जाती है। इसके तहत प्राइवेट कंपनियां ऊर्जा, सीमेंट और स्टील समेत किसी भी सेक्टर को कोयले की बिक्री कर सकती हैं।
सरकार वाणिज्यिक उद्देश्य से कोयला खनन में निजी क्षेत्र को पहली बार अनुमति देने जा रही है। इसके साथ चार दशक पुरानी व्यवस्था खत्म हो जाएगी जिसके तहत सिर्फ कोल इंडिया कोयले का खनन करके बिक्री कर सकती है। इसके जरिये सरकार देश में कोयले का उत्पादन बढ़ाना चाहती है ताकि आयात कम किया जा सके और देश को आत्मनिर्भर बनाया जा सके।