आंध्रा बैंक के शेयर्स में 12 फीसद की गिरावट, पूर्व निदेशक पर चार्जशीट की खबर से आई बिकवाली
प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को आंध्रा बैंक के पूर्व निदेशक के खिलाफ चार्जशीट दायर की है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को आंध्रा बैंक के पूर्व निदेशक अनूप प्रकाश गर्ग के खिलाफ 50 बिलियन (5000 करोड़) के बैंकिंग फ्रॉड मामले में चार्जशीट दायर की है। यह मामला गुजरात की एक फार्मा फर्म से जुड़ा हुआ है। अंतिम रिपोर्ट अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ शर्मा के समक्ष प्रस्तुत की गई जिसमें अनूप प्रकाश गर्ग पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत आरोप तय किए गए। इस खबर के बाद से अबतक बैंक के शेयर्स में करीब 15 फीसद तक की गिरावट देखने को मिली है। शुक्रवार को आंध्रा बैंक के शेयर्स में 2.5 तक की कमजोरी दर्ज की गई थी।
BSE पर आंध्रा बैंक के शेयर का हाल
बीएसई पर करीब 10.45 बजे आंध्रा बैंक के शेयर 11.82 फीसद की गिरावट के साथ 33.95 के स्तर पर कारोबार करते देखे गए। इसका दिन का उच्चतम स्तर 37.20 का और निम्नतम 33.50 का रहा है। वहीं 52 हफ्तों का उच्चतम स्तर 76.10 का और निम्नतम स्तर 33.50 का रहा है।
क्या है पूरा मामला:
प्रवर्तन निदेशालय तथा सीबीआई-दोनों ही जांच एजेंसियों की ओर से दर्ज आपराधिक केस में गर्ग का नाम बतौर आरोपी शामिल था। ईडी ने सीबीआई की एफआईआर को संज्ञान में लेकर अपनी कार्रवाई शुरू की थी। उसका आरोप था कि जांच के क्रम में आयकर विभाग द्वारा दिसंबर 2011 में जब्त एक डायरी में "कुछ खास विवरण" हैं, जिसमें गर्ग को 2008-09 के बीच संदेसरा बंधुओं (दवा कंपनी के निदेशकों) की ओर से 1.52 करोड़ रुपए भुगतान दर्शाया गया था।
फार्मा कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक से संबंधित पांच हजार करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड के सिलसिले में यह दूसरी गिरफ्तारी थी। जानकारी के लिए आपको बता दें कि एजेंसी ने बीते वर्ष नवंबर में इसी मामले में दिल्ली के भी एक कारोबारी गगन धवन को गिरफ्तार किया था।
सीबीआई ने स्टर्लिंग बायोटेक और उसके निदेशकों जिनमें चेतन जयंतीलाल संदेसरा, राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित, दीप्ति चेतन संदेसरा, नितिन जयंती संदेसरा और विलास जोशी, सीए हेमंत हाथी और कुछ अन्य अज्ञात लोग शामिल हैं, के खिलाफ कथित बैंक धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था। आरोप है कि कंपनी ने आंध्रा बैंक की अगुवाई वाले गठजोड़ से 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, जो एनपीए बन गया था। एफआइआर में यह भी आरोप लगाया गया है कि समूह की कंपनियों पर 31 दिसंबर 2016 तक कुल बकाया 5,383 करोड़ रुपये हो गया था।