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भारत में भी उड़ेंगे ए-380 विमान

एयर इंडिया और उसके बोइंग 787 ड्रीमलाइनरों के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है। विमानन मंत्रालय ने फ्रांसीसी कंपनी एयरबस के ए-380 जंबो विमानों को भारत में उड़ान भरने की इजाजत दे दी है। इससे एयर इंडिया के लिए जेट-एतिहाद और टाटा-सिया से मुकाबला करना कठिन हो जाएगा।

By Edited By: Published: Mon, 27 Jan 2014 08:41 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jan 2014 08:41 PM (IST)
भारत में भी उड़ेंगे ए-380 विमान

नई दिल्ली [जाब्यू]। एयर इंडिया और उसके बोइंग 787 ड्रीमलाइनरों के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है। विमानन मंत्रालय ने फ्रांसीसी कंपनी एयरबस के ए-380 जंबो विमानों को भारत में उड़ान भरने की इजाजत दे दी है। इससे एयर इंडिया के लिए जेट-एतिहाद और टाटा-सिया से मुकाबला करना कठिन हो जाएगा। सिंगापुर एयरलाइंस और एतिहाद एयरवेज दोनों अपनी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए ए-380 विमानों का पहले से उपयोग कर रही हैं। वैसे सरकार के इस कदम को अमेरिका पर दबाव बनाने के नजरिये से भी देखा जा रहा है।

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अमेरिकी विमानन नियामक एफएए ने डीजीसीए में खामियों के आधार पर भारत की एविएशन सेफ्टी ग्रेडिंग घटाने की चेतावनी दी है। जवाब में भारत अमेरिकी कंपनी बोइंग के नए विमान ड्रीमलाइनर की गुणवत्ता पर उंगली उठा चुका है। विशाल आकार के कारण अब तक ए-380 विमानों के भारत में उड़ान भरने पर रोक थी। मगर अब चार हवाई अड्डों दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलूर में इनके लायक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार हो गया है। लिहाजा, डीजीसीए से परामर्श के बाद नागरिक विमानन मंत्री अजित सिंह ने इन विमानों पर रोक हटाने का निर्णय किया है।

पढ़ें : एयरबस ए-380 को मिलेगी भारत में उड़ने की अनुमति

ए-380 विमान विश्व के सबसे बड़े कॉमर्शियल यात्री विमान हैं। इस दोमंजिला विमान में 500 तक यात्री सफर कर सकते हैं। दुनिया की दस एयरलाइनों के पास तकरीबन 120 ए-380 विमान हैं। इनके मुकाबले ड्रीमलाइनरों की क्षमता 210-330 यात्रियों तक है। एयर इंडिया के पास फिलहाल 11 ड्रीमलाइनर हैं। प्रत्येक में 256 यात्री बैठ सकते हैं।

विमानन मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इन विमानों की भारत में उड़ानें विभिन्न देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय एयर सर्विसेस समझौतों के तहत निर्धारित उड़ानों के आधार पर तय होंगी। जिन देशों के साथ प्रति सप्ताह सीटों की संख्या तय नहीं हुई है, उन देशों की एयरलाइनों को ए-380 की उड़ानों की अनुमति देने से पहले सीटों की साप्ताहिक संख्या तय की जाएगी। अगर किसी देश के साथ समझौते में ए-380 की उड़ानें प्रतिबंधित की गई हैं तो उन्हें इनकी उड़ानों के लिए समझौतों में संशोधन करना होगा। उड़ानों की शुरुआत करने से पहले सभी एयरपोर्ट को डीजीसीए से सर्टिफिकेट लेना होगा।

एयरबस ने भारत के इस निर्णय का स्वागत किया है। एयरबस की एक्जिक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट (स्ट्रेटजी एंड मार्केटिंग) किरण राव ने कहा कि यह भारतीय हवाई अड्डों और हवाई यात्रियों के लिए अच्छी खबर है। ए-380 ईधन की सबसे कम खपत करने वाले सबसे आरामदेह विमान हैं जो सबसे कम परिचालन लागत सुनिश्चित करते हैं। एयरपोर्ट पर सीमित स्लॉट के लिहाज से भी ये विमान बेहतरीन हैं। इनमें शोर का स्तर भी बहुत कम है।


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