नोटबंदी के बीच अच्छी खबर, बढ़ी सस्ती दरों पर कर्ज मिलने की उम्मीद
नोट बंदी के फैसले से देश में मची अफरा-तफरी के बीच सरकार के लिए एक अच्छी खबर महंगाई के मोर्चे से आई है
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। नोट बंदी के फैसले से देश में मची अफरा-तफरी के बीच सरकार के लिए एक अच्छी खबर महंगाई के मोर्चे से आई है। थोक व खुदरा महंगाई की दर में अच्छी खासी नरमी आई है। थोक महंगाई की दर अक्टूबर, 2016 में घटकर 3.39 फीसद पर आ गई है जबकि खुदरा महंगाई की दर में इस महीने 14 महीनों के न्यूनतम स्तर 4.20 फीसद पर आ गई है। वैसे तमाम अर्थविदों का यह मानना है कि नोट बंदी के फैसले के बाद लंबी अवधि में सरकार के लिए महंगाई को काबू में करना आसान होगा। यानी महंगाई आने वाले दिनों में और कम हो सकती है। इस आसार को देखते हुए उद्योग जगत ने ब्याज दरों में भारी कटौती की मांग शुरू कर दी है। यानी आम जनता को सस्ती दरों पर कर्ज मिलने की उम्मीद करनी चाहिए।
उद्योग चैंबर फिक्की का कहना है कि महंगाई की स्थिति आने वाले महीनों में और सुधरने के आसार हैं। खास तौर पर घरेलू स्तर पर एक तरफ मानसून की स्थिति काफी अछी रही है। इससे खाने-पीने की चीजों की कीमतों में नरमी बने रहने की उम्मीद है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में अन्य जिंसों की कीमतों में भी नरमी का रुख है। हालांकि चिंता की बात यह है कि नोट बंदी के बाद फिलहाल कुछ समय के लिए निवेश पर असर पड़ने की आशंका है।
इस असर को खत्म करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को तत्काल रेपो रेट में 0.50 फीसद की कटौती करनी चाहिए। इसके साथ ही सरकार को हाउसिंग व ऑटोमोबाइल जैसे उद्योगों के लिए विशेष निवेश प्रोत्साहन भी देना चाहिए। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी कहा है कि बड़े नोटों पर प्रतिबंध के बाद महंगाई फिलहाल काफी हद तक काबू में रहेगी। अभी जबकि देश की अर्थव्यवस्था में नए नोट डाले जा रहे हैं। रेपो रेट 6 फीसद से यादा नहीं होनी चाहिए। अब देखना है कि रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल जब सात दिसंबर, 2016 को मौद्रिक नीति की समीक्षा करेंगे, तब वह क्या कदम उठाते हैं।