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पांच वर्षो में करीब चार लाख कंपनियां की गईं रिकार्ड से बाहर, सरकार ने दी जानकारी

कारपोरेट मामलों के राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि सरकार ने पिछले पांच वर्षों के दौरान रिकार्ड से कुल 396585 कंपनियों को रजिस्ट्रार आफ कंपनीज (आरओसी) की सूची से बाहर किया है।

By Manish MishraEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 09:23 AM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 10:26 AM (IST)
पांच वर्षो में करीब चार लाख कंपनियां की गईं रिकार्ड से बाहर, सरकार ने दी जानकारी
About four lakh companies out of record in five years, the government gave information in parliament

नई दिल्ली, पीटीआइ। पिछले पांच वित्त वर्षो के दौरान सरकार ने 3.96 लाख से अधिक कंपनियों को रिकार्ड से बाहर किया है। इन्हें कंपनी कानून के तहत सभी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए रिकार्ड से बाहर किया गया है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार पिछले वित्त वर्ष (अप्रैल, 2020-मार्च, 2021) के दौरान 12,892 कंपनियों को रिकार्ड से हटाया गया है। उससे पिछले वित्त वर्ष (अप्रैल, 2019-मार्च, 2020) के दौरान ऐसी कंपनियों की संख्या 2,933 थी। कारपोरेट मामलों के राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि सरकार ने पिछले पांच वर्षों के दौरान रिकार्ड से कुल 3,96,585 कंपनियों को रजिस्ट्रार आफ कंपनीज (आरओसी) की सूची से बाहर किया है। पिछले पांच वर्षो के दौरान सबसे ज्यादा 2,34,371 कंपनियों को वित्त वर्ष 2017-18 और 1,38,446 कंपनियों को वित्त वर्ष 2018-19 में बाहर किया गया। इनमें से अधिकतर कंपनियों को नियामकीय अनुपालनों में कमी के चलते रिकार्ड से निकाला गया है।

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उल्लेखनीय है कि रजिस्ट्रार किसी भी कंपनी को सूची से बाहर निकाल सकता है, जिसका मतलब यह होता है कि अब वह कंपनी परिचालन में नहीं है। हालांकि इसके लिए रजिस्ट्रार पहले सुनिश्चित हो लेता है कि कंपनी ने पिछले दो वित्त वर्षो के दौरान कोई कारोबार नहीं किया है। इसके साथ ही इन कंपनियों ने परिचालन बंद रखने के लिए जरूरी सूचना भी रजिस्ट्रार को नहीं दी है। एक अलग सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि इस वर्ष 30 सितंबर तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार निजी और सरकारी कंपनियों ने कारपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के मद में बीते वित्त वर्ष के दौरान कुल 8,828.11 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसमें से 2,559.30 करोड़ रुपये स्वास्थ्य क्षेत्र में किए गए हैं। हालांकि कंपनियों द्वारा कोरोना मद में अगल से किए गए खर्च का मंत्रालय कोई ब्योरा नहीं रखता है।

पहली छमाही में 27,575 करोड़ के समुद्री उत्पादों का निर्यात

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर, 2021) के दौरान 27,575 करोड़ रुपये मूल्य के समुद्री उत्पादों का निर्यात हुआ है। मत्स्य पालन, पशुपालन व डेयरीज मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि इनमें से अधिकांश निर्यात आंध्र प्रदेश से किया गया है। उन्होंने कहा कि इस राज्य से समीक्षाधीन अवधि के दौरान 1.70 लाख टन समुद्री उत्पादों का निर्यात हुआ, जिनका कुल मूल्य 10,109.72 करोड़ रुपये था। केरल से 83,995 टन (करीब 3,309.82 करोड़ रुपये), गुजरात से 72,795 टन (लगभग 1,599 करोड़ रुपये), महाराष्ट्र से 67,636 टन (करीब 2,795 करोड़ रुपये) और तमिलनाडु से 66,986 टन (लगभग 3,660.71 करोड़ रुपये मूल्य के) समुद्री उत्पादों का निर्यात हुआ।

बैंकों के उचित वाणिज्यिक फैसलों की रक्षा होगी

केंद्र सरकार ने बैंकों के उचित वाणिज्यिक फैसलों की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं। इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में बताया कि बैंकों के शीर्ष अधिकारी अगर कारोबारी हितों के लिए कोई वाणिज्यिक फैसला लेते हैं और वह सही मंशा से लिया गया वह फैसला बाद में गलत साबित हो जाता है, तो इसके लिए बैंक अधिकारियों को प्रताडि़त करना ठीक नहीं है। ऐसे अधिकारियों की रक्षा के लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने एक फ्रेकवर्क पेश किया था। इसके तहत अगर 50 करोड़ रुपये मूल्य का कोई लोन अकाउंट एनपीए में चला जाता है और उसमें धोखाधड़ी की मंशा नहीं है, तो कर्ज आवंटित करने वाले संबंधित बैंक अधिकारियों को प्रताडि़त नहीं किया जाएगा।


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