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नोबेल विजेता अर्थशास्त्रियों ने गरीबी की लड़ाई को कैंसर से मुकाबले की तरह बताया

MIT में काम करने वाले बनर्जी और उनकी पत्नी डुफ्लो इस पुरस्कार समारोह में परंपरागत भारतीय पोशाक में शामिल हुए।

By Ankit KumarEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 08:26 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 08:43 AM (IST)
नोबेल विजेता अर्थशास्त्रियों ने गरीबी की लड़ाई को कैंसर से मुकाबले की तरह बताया
नोबेल विजेता अर्थशास्त्रियों ने गरीबी की लड़ाई को कैंसर से मुकाबले की तरह बताया

स्टॉकहोम, पीटीआइ। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्रियों अभिजीत बनर्जी, एस्तर डुफ्लो और माइकल क्रेमर ने गरीबी को लेकर बहुत अहम बात कही हैं। उन्होंने कहा है कि गरीब से लड़ना कैंसर से मुकाबला करने के बराबर है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से कैंसर की लड़ाई एक बार में नहीं जीती जा सकती है, ठीक उसी प्रकार गरीबी के खिलाफ लड़ाई में एक बार में जीत नहीं मिल सकती है। उन्होंने कहा कि इसके लिए छोटे-छोटे लक्ष्य तय करके लड़ना होगा। उन्होंने कहा कि इस राह में कई बाधाएं और रोड़े आएंगे लेकिन छोटी-छोटी जीत से लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। इन तीनों ने स्वीडन में प्रख्यात वैज्ञानिक अलफ्रेड नोबेल की याद में दिये जाने वाले प्रतिष्ठित पुस्कार प्राप्त करने के बाद यह बात कही। 

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मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में काम करने वाले बनर्जी और उनकी पत्नी डुफ्लो इस पुरस्कार समारोह में परंपरागत भारतीय पोशाक में शामिल हुए। बनर्जी (58) ने कुर्ता, धोती एवं ब्लैक कलर की जैकेट पहनकर इस कार्यक्रम में शिरकत की। डुफ्लो (47) नीले रंग की साड़ी, लाल रंग के ‘ब्लाउज’ पहनकर इस कार्यक्रम में शामिल हुईं। उनके माथे पर लाल बिंदी थी। डुफ्लो फ्रांसिसी मूल की अमेरिकी हैं। 

इस मौके पर तीनो अर्थशास्त्रियों की ओर से डुफ्लो ने कहा, ‘‘हम (शोध से जुड़े) ऐसे अभियान की अगुवाई करते हैं, जिसका लक्ष्य किसी भी व्यक्ति से बड़ा है। हमारा मानना है कि इस पुरस्कार से इस बात का मान्यता मिलती है कि इस अभियान से क्या हासिल हुआ है। इसके साथ ही यह स्वीकृति मिलती है कि इससे भविष्य में क्या हासिल किया जा सकता है।’’ 

डुफ्लो के कहा, ‘‘यह अभियान इस विचार के साथ प्रारंभ हुआ था कि विश्व में निर्धनता के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है।’’ 

उन्होंने कहा ‘‘हमारा मान्यता है कि जिस प्रकार कैंसर के खिलाफ लड़ाई है, उसी प्रकार गरीबी के खिलाफ लड़ाई को एक झटके में नहीं जीता जा सकता है। हालांकि, छोटी-छोटी जीत से हम लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। हालांकि, इस राह में कई रोड़े आएंगे और झटके लगेंगे।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे दो ही लक्ष्य हैं। सबसे पहले तो गरीबों के जीवन में सुधार में योगदान। दूसरा उनके (गरीबों के) जीवन जीने के तरीकों को बेहतर तरीके से समझना...।’’ 


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