दूसरी तिमाही में सुस्त पड़ी GDP, फिर भी चीन से आगे है भारतीय अर्थव्यवस्था
केंद्रीय सांख्यिकी विभाग (सीएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी कम होकर 7.1 फीसद हो गई
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नोटबंदी और जीएसटी के क्रियान्वयन से डगमगायी अर्थव्यवस्था अब उच्च विकास दर की राह पर लौट रही है। वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रही है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 6.3 प्रतिशत थी। हालांकि विकास दर का ताजा आंकड़ा पिछली तीन तिमाहियों में न्यूनतम है। वैसे चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के आंकड़े भी अर्थव्यवस्था की बेहतर तस्वीर दिखा रहे हैं। इस अवधि में विकास दर 7.6 प्रतिशत रही है जबकि पिछले साल समान अवधि में यह 6.0 प्रतिशत थी। खास बात यह है कि अर्थव्यवस्था में निवेश की रफ्तार बढ़ रही है और आजीविका प्रदान करने वाले दो मुख्य क्षेत्रों- कृषि और मैन्युफैक्चरिंग का प्रदर्शन भी पिछले साल की अपेक्षा बेहतर हुआ है।
जीडीपी के बैंक सीरिज आंकड़ों को लेकर जारी राजनीतिक बहस के बीच सीएसओ (सेंट्रल स्टेटिस्टीकल आर्गनाइजेशन) ने शुक्रवार को जीडीपी के आंकड़े जारी किए। सीएसओ के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन यानी निवेश की दर बढ़कर 32.3 प्रतिशत हो गयी है जबकि पिछले साल दूसरी तिमाही में यह 30.8 प्रतिशत थी। लेकिन इस वृद्धि की मूल वजह सरकारी खर्च में तेज वृद्धि है।
गौरतलब है चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की विकास दर 8.2 प्रतिशत थी। इस तरह दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार थोड़ी धीमी जरूर पड़ी है लेकिन विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्था में अब भी भारत सबसे तेज आर्थिक वृद्धि दर वाला देश है और इस मामले में चीन अब भी भारत से काफी पीछे है। जहां तक क्षेत्रवार वृद्धि दर का सवाल है तो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कृषि और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के ग्रॉस वैल्यू एडीशन यानी जीवीए की वृद्धि पिछले साल से बेहतर रही है लेकिन खनन क्षेत्र की स्थिति खराब है। वैसे सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन शानदार रहा है।
वित्त मंत्रालय ने जीडीपी के ताजा आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मौजूदा वैश्विक माहौल में उच्च वृद्धि दर बनाए रखने की राह पर है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी अर्थव्यवस्था को कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और रुपये के मूल्य में गिरावट जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। वैसे वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने दूसरी तिमाही की 7.1 प्रतिशत विकास दर को निराशाजनक करार दिया है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष विवेक देबरॉय का कहना है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद सरकार नीतिगत प्रयासों से घरेलू स्तर पर स्थिर माहौल बनाने में कामयाब रही है। सरकार ने कारोबार की प्रक्रिया आसान बनाने की दिशा में जो कदम उठाए हैं उससे आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है।
कुल मिलाकर पहली छमाही में देश की विकास दर 7.6 प्रतिशत रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाली दो तिमाही में अगर अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर रहा तो पूरे साल के लिए विकास दर आठ प्रतिशत के आस-पास आ सकती है।
सितंबर तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 7.4 फीसद रही है जबकि पिछली तिमाही में यह 13.5 फीसद रही थी। वहीं एग्रीकल्चर सेक्टर की ग्रोथ 3.8 फीसद रही है जो कि इसकी पिछली तिमाही में 5.3 फीसद रही थी।
जीडीपी का सेक्टर वाइज हाल:-
गौरतलब है कि इससे पहले तमाम सर्वेक्षणों में सितंबर तिमाही की जीडीपी के पूर्व तिमाही से कम रहने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन वह अनुमान 7.3 से लेकर 7.9 के आसपास का था। आंकड़ों में इतनी बड़ी गिरावट का अनुमान किसी ने भी नहीं लगाया था।