फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश से जुड़े इन चार खतरों की जानकारी आपको होनी चाहिए
अगर आप कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं, तो आपको क्रेडिट जोखिमों के लिए तैयार रहना चाहिए
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। कमाई के साथ लोग बचत भी करना चाहते हैं। इसके लिए लोगों के पसंदीदा निवेश विकल्प में से एक फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम भी है। दरअसल एफडी को लोग ज्यादा सुरक्षित और बेहतर मानते हैं। लेकिन इसमें निवेश के अपने खतरे भी हैं। हम इस खबर में आपको ऐसे ही कुछ खतरों से अवगत करा रहे हैं।
लिक्विडिटी का खतरा: वैसे तो एफडी में फंड की उपलब्धता आसान रहती है। इसमें आप जब चाहे तब पैसा निकाल सकते हैं, लेकिन सभी एफडी में ये सुविधा नहीं है। कुछ एफडी ऐसी होती हैं जिनमें एक तय समय (पांच वर्ष) तक पैसा जमा करना होता है, तो ऐसा नहीं है कि आप जब चाहें तब पैसा निकाल लें। ऐसा करने पर आपको पेनल्टी भी भरनी होगी।
रिटर्न का खतरा: एफडी में रिटर्न-संबंधी जोखिम भी है। आमतौर पर एफडी से आपको 6-8 फीसद के बीच रिटर्न मिलता है। यह किसी भी हालत में म्युचुअल फंड एसआईपी के रिटर्न से बेहद कम ही रहता है।
क्रेडिट जोखिम: अगर आप कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं, तो आपको क्रेडिट जोखिमों के लिए तैयार रहना चाहिए। एक कॉर्पोरेट एफडी को रिसर्च एजेंसियों - एफएएए, एफएए, एफए इत्यादि की ओर से क्रेडिट रेटिंग दी जाती है। ये आपको अपने मूल धन प्राप्त करने और समय पर ब्याज का वादा करने का एक सही मौका देते हैं। हालांकि, कम क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियों में निवेश करना आपके लिए जोखिम भरा फैसला हो सकता है।
टैक्स का खतरा: दरअसल 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए एफडी पर मिलने वाला ब्याज कर से मुक्त रहता है, लेकिन अगर धारक की उम्र 60 वर्ष से कम है तो उसे ब्याज पर कर देना होगा। आयकर की धारा 80 टीटीबी के तहत ब्याज से 50,000 तक की कमाई किसी भी उम्र वालों के लिए कर से छूट के दायरे में आती है।