इस संसार में ऐसे कितने ही लोग हैं जो वर्तमान में जीकर भी भूतकाल और भविष्य के बारे में सोचते हैं. उन्हें लगता है कि भूतकाल पर तो उनका कोई वश नहीं है लेकिन अगर वे भविष्य के बारे में पता लगा सकते तो वे अपनी किस्मत खुद लिख सकते थे. वे सोचते हैं कि उन्हें भविष्य में होने वाली घटना के बारे में पता चल पाता तो वे इसपर काबू पा सकते थे. वे संसार के दुखों से मुक्ति पाकर अपने भाग्य को खुद लिख सकते थे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाभारत में एक पात्र ऐसा था जिसमें भविष्य को देखने की अनोखी शक्ति मिली थी. श्रीकृष्ण के अलावा एक ऐसा व्यक्ति था जो भविष्य में होने वाले महाभारत के युद्ध के बारे में जानता था लेकिन ये जानते हुए भी वे चुप रहा और महाभारत के युद्ध को होते हुए देखता रहा.
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वेद व्यास द्वारा लिखित महाभारत के अनुसार पाण्डवों में से सहदेव ही एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें ज्योतिषशास्त्र का बहुत उत्तम ज्ञान था. उन्हें आने वाले समय में होने वाली सभी घटनाओं के बारे में पहले ही ज्ञात हो जाता था. केवल महाभारत के युद्ध के विषय में ही नहीं बल्कि उन्हें हर अप्रिय घटना के बारे में पहले से ही पता था. लेकिन प्रश्न ये उठता है कि सब कुछ जानते हुए भी सहदेव ने अप्रिय घटनाओं को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की. वो चाहते तो सब कुछ पल भर में रोक सकते थे या सभी को परिणाम बताकर सजग कर सकते थे. लेकिन इस सबसे परे वो हमेशा मौन ही रहे. इसका सबसे बड़ा कारण था श्रीकृष्ण द्वारा सहदेव से लिया गया वचन. जैसा की हम सभी जानते हैं कि श्रीकृष्ण पूरे संसार के ज्ञान को खुद में समेटे हुए हैं.
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उन्हें हर जीव और विश्व में होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी पहले से थी. लेकिन उन्होंने सहदेव से वचन लेते हुए कहा ‘ वत्स तुम अपनी शक्तियों का प्रयोग किसी के कर्मों को निर्धारित करने के लिए नहीं कर सकते. अपने बुद्धि और विवेक द्वारा हर एक चरित्र को अपने फैसले लेने का अधिकार स्वयं है. इसलिए यदि तुमने कभी भी अपने इस कौशल पर अभिमान किया तो पलभर में तुम्हारे मस्तिष्क के दो टुकड़े हो जाएंगे’. इस प्रकार का प्रसंग भागवत पुराण में भी पढ़ने को मिलता है जिसमें श्रीकृष्ण और सहदेव के बीच के संवादों को बखूबी प्रस्तुत किया गया है...Next
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