देश में इन दिनों पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों को लेकर जनता खासी परेशान है और सरकार की लगातार आलोचना हो रही है. पेट्रोल और डीजल की कीमतें साल 2014 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें तीन साल पहले के मुकाबले आधी रह गई हैं, बावजूद इसके देश में पेट्रोल, डीजल की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है. मुंबई में तो पेट्रोल के दाम करीब 80 रुपये प्रति लीटर पहुंच गए. मोदी सरकार के आने के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 53 फीसदी तक कम हो गए हैं, लेकिन पेट्रोल डीजल के दाम घटने की बजाय बेतहाशा बढ़ गए हैं.
अमेरिका में बाढ़ की वजह से बढ़ी पेट्रोल-डीजल की कीमतें!
दरअसल तेलों के बढ़ते दाम महंगाई को और भी बढ़ा रहे हैं, ऐसे में अच्छे दिन का दावा करनेव वाली सरकार पर लोग सवाल खड़े रहे हैं. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कि, अमेरिका में बाढ़ की वजह से तेल उत्पादन में 13 फीसदी की कमी आई है. इसकी वजह से रिफाइनरी तेल के दाम मजबूत हुए हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि दिवाली तक पेट्रोल-डीजल के दाम कम हो जाएंगे.
जीएसटी से सस्ती होगी पेट्रोल-डीजल की कीमतें!
तेल कंपनियों को ज्यादा मार्जिन दिए जाने के आरोप पर उन्होंने कहा कि तेल कंपनियों का संचालन सरकार कर रही है और हर चीज बिल्कुल साफ है. उन्होंने कंपनियों को ज्यादा मार्जिन दिए जाने के आरोप से इनकार किया. प्रधान ने एकबार फिर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने की बात कही. उन्होंने कहा कि अगर ये ईंधन जीएसटी के तहत आ जाते हैं, तो आम लोगों को काफी ज्यादा फायदा पहुंच सकता है.
रोज प्राइस बदलने की क्या है जरुरत
धर्मेंद प्रधान ने रोज प्राइस बदलने का समर्थन करते हुए कहा था कि, इससे आम लोगों को फायदा पहुंचेगा. इसके तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बदलाव होने पर देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी तुरंत बदलाव किया जाता है...Next
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