आज की नई पढ़ी किसी भी जानकारी के लिए सीधे अपने कंप्यूटर सिस्टम, लेपटॉप, स्मार्ट फोन या टेबलेट का सहारा लेते हैं. हमारी पीढ़ी को किताबों से ज्यादा इंटरनेट पर जानकारी इकट्ठा करना पसंद है. कई लोग तो ऐसे होते हैं जो पूरी की पूरी किताब ही इन्टरनेट पर पढ़ जाते हैं. उन्हें तनिक भी यह अंदाजा नहीं होता कि घंटों इंटरनेट पर पढ़ाई करने से सेहत पर क्या प्रभाव पड़ सकता है. आइए जानते हैं कि ई-बुक पढ़ने की आदत से आपकी सेहत को क्या-क्या खतरा हो सकता है.
यदि आप सोने से पहले अखबार या किताब को पढ़ने की बजाए ई-पाठक हैं तो आप अपनी नींद और सेहत को खराब कर रहें हैं. हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल के चिकित्सकों की एक टीम का मानना है कि सोने से पहले ई-बुक पढ़ने की आदत से आपके शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं. चिकित्सकों की यह टीम ने सोने से पहले किताबें पढ़ने वाले और ई-पाठकों के बीच तुलना करने के बाद यह चेतावनी दी है. इस शोध में देखा गया कि प्रकाश युक्त ई-बुक पढ़ने वाले लोगों को अच्छी नींद नहीं आई जिससे यह लोग सुबह थका हुआ महसूस कर रहें थे. शोधकर्ताओं ने यह भी माना कि बिना रोशनी वाली ई-बुक पढ़ने से किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं हुआ.
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मानव शरीर में ऐसी क्षमता होती हैं कि वह दिन, रात, मौसम आदि के हिसाब से खुद को तैयार कर उसी के अनुरूप व्यवहार करे. इसलिए मानव शरीर दिन और रात का फर्क समझने के लिए प्रकाश का उपयोग करता है परन्तु एलईडी कंप्यूटर सिस्टम, लेपटॉप या स्मार्ट फोन, टेबलेट के प्रकाश से मानव शरीर का दिनचर्या प्रभावित होता है.
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नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में कहा गया है कि इस शोध में कुछ लोगों को शामिल किया गया था जिसे दो सप्ताह तक नींद की प्रयोगशाला में रखा गया था. इन लोगों ने पांच दिन तक किताबें पढ़ीं और पांच दिन आईपैड के माध्यम से ई-बुक पढ़ी. शोध में शामिल लोगों का नियमित रूप से खून के नमूनें लिए गए. जांच में बता चला कि ई-बुक पढ़ने वालों को नींद के हारमोन 'मैलाटॉनिन' बनने में कमी आई. इन लोगों को नींद पूरा करने में ज्यादा समय लगा, गहरी नींद भी नहीं आई और सुबह ये लोग खुद को ज्यादा थका हुआ महसूस कर रहे थे. Next...
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