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युहीं
तू मेरे संग है मेरे साथ है
क्यूँ फिर मुझको तेरी तलाश है
तू दूर है या की पास है
दिल को काटता ये सवाल है
कह रही हूँ तेरे दिल से में
देके उन मोहब्बतों का वास्ता
ज़रा आंख बंद कर
मुझे सच बता ,
मेरे प्यार का जो सरूर था,
मेरे साथ का जो गुरूर था,
क्या वो खुमार बरकरार है,
क्या कल के जैसे ही आज भी तू पुकारता मेरा नाम है ...
तेरे ख्वाब अब भी हैं क्या मेरे
मेरी हकीकतें सबब तेरा.
क्या अब भी इशक़ तेरा मेरा
सब लबों पे इक मिसाल है .....
फिर सोचती हूँ क्यूँ मैं शक करून
मैं भी वो ही हूँ तू भी वो ही है
यह जो फासले हैं दरमियाँ
सब वक़्त की ही चाल है
तू करीब है यह भी कम है क्या
किन दूरियों पर करून गिला,
है प्यार का यही सिला.
नहीं मानती यह शिकयेतें
नहीं पूरी होती ख्वाईशें
वर्ना तुझपे क्या इलज़ाम है
Dr Deepti