बिना अवकाश संक्रमितों के लिए कर रहे काम
बगहा। कोरोना से जूझ रहे लोगों के लिए चिकित्सक धरती के भगवान के रूप में काम कर रहे। ब
बगहा। कोरोना से जूझ रहे लोगों के लिए चिकित्सक धरती के भगवान के रूप में काम कर रहे। बगहा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित डॉ. रणवीर सिंह इसकी बानगी हैं। बीते वर्ष अप्रैल में जब कोरोना ने दस्तक दी तो आधी अधूरी तैयारियों के बीच अस्पताल में मरीज पहुंचने लगे। उस वक्त न तो कोरोना की भयावहता का एहसास था और ना ही इसकी कोई दवा बनी थी। शारीरिक संपर्क से फैलने वाले इस वायरस पर लगाम कसने के बगहा शहरी पीएचसी में कोविड नोडल पदाधिकारी के रूप में डॉ. सिंह तैनात किए गए। संसाधनों के अभाव के बीच चुनौती बड़ी थी। अस्पताल से सटे कोविड आइसोलेशन वार्ड में एक-एक कर मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही थी। इस घड़ी में डॉ. रणवीर ने हिम्मत दिखाई तथा पीपीई किट की अनुपलब्धतता की स्थिति में ग्लब्स और मास्क का उपयोग करते हुए करीब चार हजार मरीजों का इलाज किया। मरीज स्वस्थ होकर घर लौटते गए। इलाज के दौरान अक्टूबर 2020 में रणवीर बीमार पड़े। दो दिनों की छुट्टी ली। स्वस्थ होकर फिर लौटे और तबसे अबतक पर्व-त्योहारों पर भी ड्यूटी पर हैं। इस साल मार्च में डॉ. सिंह ने भी वैक्सीनेशन कराया। डोर-टू-डोर जाकर कर बढ़ा रहे संक्रमितों का हौसला :- इस साल कोरोना ने जब दोबारा दस्तक दी तो जांच की गति बढ़ा दी गई। डॉ. रणवीर की देखरेख में प्रतिदिन रेलवे स्टेशन व शहरी पीएचसी में पांच सौ से अधिक संदिग्धों की कोरोना जांच की जा रही। इसके साथ घर पर आइसोलेट बीमार लोगों का इलाज भी चिकित्सक डोर-टू-डोर जाकर कर रहे हैं। इस कार्य में रणवीर अग्रणी भूमिका निभा रहे। बीते साल लॉकडाउन से अबतक पीएचसी में करीब 40 हजार लोगों की कोविड जांच और आठ हजार लोगों का इलाज हो चुका है। पिता हैं प्रेरणा स्त्रोत :- डॉ. रणवीर ने दो जुलाई 2015 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बतौर चिकित्सक योगदान दिया था। उनके प्रेरणा स्त्रोत उनके पिता डॉ. एसपी सिंह हैं। जो इसी स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी के पद से करीब दो दशक पूर्व सेवानिवृत्त हुए। रणवीर बताते हैं कि पिता को देखकर बचपन से ही यह बात मन में बस गई कि एक चिकित्सक की सबसे बड़ी सफलता यह है कि वह मरीज के चेहरे पर मुस्कान लौटा सके। कहा कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. राजेश सिंह नीरज ने भी एक बड़े भाई के रूप में हर कदम पर सहयोग दिया है। उनसे बेहतर करने की प्रेरणा के साथ यह सीख मिली है कि चिकित्सा का क्षेत्र सेवाभाव का पर्याय है। इसलिए मैंने ड्यूटी को निजी खुशियों से सदैव उपर समझा। बता दें कि डॉ. रणवीर की पुत्री भी चिकित्सीय क्षेत्र में जल्द ही सेवा देंगी। वे अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं। बयान :-
संकट के इस दौर में चिकित्सकों ने खुद की जान जोखिम में डालकर दूसरों को खुशी देने का प्रयास किया है। मेरे कंधे पर हरनाटांड़ व शहरी पीएचसी की जवाबदेही है। डॉ. रणवीर समेत अन्य सभी चिकित्सक सेवा व समर्पण भाव से काम कर रहे। इसकी जितनी तारीफ की जाए, कम है। उम्मीद है कि चिकित्सकों व कर्मियों के सहयोग की बदौलत यह जंग हम निश्चित रूप से जीतेंगे।
डॉ. राजेश सिंह नीरज, चिकित्सा पदाधिकारी