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अभियंताओं व संवेदकों की मिलीभगत से कटावरोधी कार्य में घटिया किस्म के मैटेरियल का इस्तेमाल

बगहा/ पिपरासी। बांध व नदी से सुरक्षा को लेकर बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न बिदुओं पर कराया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 12:10 AM (IST)Updated: Mon, 23 May 2022 12:10 AM (IST)
अभियंताओं व संवेदकों की मिलीभगत से कटावरोधी कार्य में घटिया किस्म के मैटेरियल का इस्तेमाल
अभियंताओं व संवेदकों की मिलीभगत से कटावरोधी कार्य में घटिया किस्म के मैटेरियल का इस्तेमाल

बगहा/ पिपरासी। बांध व नदी से सुरक्षा को लेकर बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न बिदुओं पर कराया जा रहा है। कटाव निर्माण कार्य में अभियंताओं की मिलीभगत से संवेदक द्वारा अत्यंत घटिया किस्म की सामग्री लगाई जा रही है। इस कार्य में घटिया किस्म का जिओ बैग व ग्रेवियन का उपयोग किया जा रह है। सबसे खराब स्थिति चंपारण बांध व गौतम बुद्धा सेतु के पास की है। यही हाल रहा तो इस बार भी बाढ़ का पानी कई गांवों में घुसेगा। कार्य में अनियमितता बरते जाने की शिकायत के बाद भी स्थिति वैसे ही है।

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जल संसाधन विभाग ने 15 मई 2022 तक सभी कार्य पूरा करने का निर्देश दिया था, लेकिन ऐसा देखा जा रहा है कि चंपारण बांध, पीपी तटबंध, रामनगर समेत आधा दर्जन जगहों पर अभी भी कटाव निरोधी कार्य हो रहे हैं। समय पूरा होने के बाद आनन-फानन में कार्य कराया जा रहा है।

जानकार बताते हैं कि एक खाली जिओ बैग का वजन 420 ग्राम तथा एक ग्रेवियन का वजन 6.5 ग्राम होना चाहिए, लेकिन जिन जगहों पर काम हो रहा है। वहां सभी बैग का वजन कम है। कुछ जगहों पर नाइलॉन क्रेट घोटाला किया जा रहा है। एक नाइलॉन क्रेट में बालू भरी 25 बोरी डाली जाती है, लेकिन संवेदक 15-18 बालू भर रहे हैं और पूरा दिखा रहे हैं। शाम तक अगर दो सौ एनसी का कार्य हुआ, तो उसकी रिपोर्ट पांच से सात सौ दिखाई जा रही है। इस तरह एक जियो बैग में 1.26 क्विंटल के स्थान पर 80-90 किलो ही बालू भरा जा रहा है। पारकोपाइन ढलाई में भी काली गिट्टी के स्थान पर घटिया किस्म की सफेद मेंटल तथा सोन सैंड की जगह पर दियारे के बालू का इस्तेमाल किया गया है। सीमेंट भी मानक के अनुसार नहीं लगाया जा रहा है। एक सेट पारकोपाइन को तैयार करने में देसी नट बोल्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि उच्च क्वालिटी का नट बोल्ट लगना है। घटिया नल बोल्ट की वजह से बाढ़ की तेज धारा से देसी नट बोल्ट खुल जाता है और पारकोपाइन क्षतिग्रस्त होकर बिखर जाता है लेकिन इस पर गठित जांच टीम की नजरें न पड़ने के पीछे भी कई वजह हैं। पूर्व प्रमुख प्रतिनिधि मुकेश श्रीवास्तव,पूर्व उप प्रमुख विजय कुमार, मुखिया राकेश चौधरी आदि ने जांच कर संबंधित अभियंताओं व संवेदक पर कार्रवाई की मांग की है। बयान : अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न बिदुओं पर बीते साल बाढ से क्षतिग्रस्त हुई स्थानों पर कटाव रोधी कार्य कराई जा रहा है। जिसमें कुछ जगहों गड़बड़ी की शिकायत मिली है। इसकी जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई होगी। बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य में लापरवाही किसी भी कीमत पर नहीं चलेगी।

धीरेंद्र प्रताप सिंह, वाल्मीकि नगर, विधायक


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