महिला थाने के पुरुष थानेदार, व्यवस्था पर सवाल
बगहा। अपराध पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने वर्ष 1996 में बगहा को पुलिस जिले का दर्जा दिया।
बगहा। अपराध पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने वर्ष 1996 में बगहा को पुलिस जिले का दर्जा दिया। जिले के गठन के साथ नये थानों का भी गठन हुआ और पुलिस बलों की संख्या के साथ-साथ संसाधन भी बढ़ाए गए। जिसका परिणाम हुआ कि अपराध पर अंकुश लगा। सूबे में लगातार बढ़ रही महिला हिसा पर रोक के लिए सरकार ने महिला थाना की स्थापना का निर्णय लिया। उसी निर्णय के आलोक में बगहा पुलिस जिले में भी एक महिला थाना अस्तित्व में आया। जिसका विधिवत उद्घाटन वर्ष 2012 में चंपारण परिक्षेत्र के तत्कालीन डीआइजी के द्वारा किया गया। महिला थाने को तत्काल नगर थाना परिसर में संचालित किया जाने लगा। इस थाने के पहले थानाध्यक्ष रणधीर कुमार चौधरी बनाए गए। उसी समय डीआइजी के द्वारा जानकारी दी गई थी कि अभी जिले में महिला दारोगा की कमी है जैसे ही महिला दारोगा जिले में योगदान करती है तो उसे महिला थाने के थानाध्यक्ष पद की जवाबदेही सौंपी जाएगी। लेकिन करीब एक दशक बीतने के बाद भी महिला दारोगा की पदस्थापना नहीं हो सकी। विवश सिस्टम ने पुरुष दारोगा को महिला थाने की कमान सौंप रखी है। महिला थाने में पुरुष थानाध्यक्ष होने से संबंधित थानाध्यक्ष को भी परेशानी होती है। इससे निपटने के लिए थाने में तैनात महिला जमादार का सहयोग लिया जाता है। महिला थाने की वर्तमान स्थिति :- महिला थाना बगहा में तीन दारोगा, दो जमादार, एक हवलदार व चार महिला सिपाही का पद सृजित है। लेकिन फिलहाल दो पुरुष दारोगा, एक महिला सहित दो जमादार व पांच होमगार्ड, एक महिला हवलदार व चार महिला सिपाही तैनात हैं। साथ ही एक वाहन भी उपलब्ध है जिससे बगहा पुलिस जिले के सभी थाना क्षेत्रों में जांच व अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु छापेमारी होती है। बयान
बगहा व बेतिया में एक-एक महिला थाना संचालित हो रहा है। जिसमें पुरुष थानाध्यक्ष हैं। जिले में महिला दारोगा की कमी है, जिसके कारण पुरुष पदाधिकारी को थानाध्यक्ष के रूप में तैनात किया गया है। इस संबंध में विभाग को पत्राचार किया गया है कि महिला दारोगा की पदस्थापना की जाए।
प्रणव कुमार प्रवीण, डीआइजी, पश्चिम चंपारण