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इंजीनियर बिटिया को समाज की चिता, बच्चों को देती आनलाइन शिक्षा

बगहा । प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। जिसके माध्यम से बेटियों की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें मुकाम तक पहुंचाने के लिए अभिभावकों को प्रोत्साहित किया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 11:08 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 11:08 PM (IST)
इंजीनियर बिटिया को समाज की चिता, बच्चों को देती आनलाइन शिक्षा
इंजीनियर बिटिया को समाज की चिता, बच्चों को देती आनलाइन शिक्षा

बगहा । प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। जिसके माध्यम से बेटियों की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें मुकाम तक पहुंचाने के लिए अभिभावकों को प्रोत्साहित किया जाता है। सरकार द्वारा भी बेटियों के उत्थान व मुख्य धारा में कदम से कदम मिलाकर चलने को प्रेरित किया जाता है। सरकार की यह योजना बहुत हद तक कारगर भी हुई है। समाज में वैसे लोग भी बेटियों की पढ़ाई के प्रति सजग हुए हैं, जो कभी नारी शिक्षा का समर्थन नहीं करते थे। इसके अलावे जिनके घर का खर्चा मजदूरी से चलता है वैसे लोग भी अब अपने बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाने को प्रयासरत हैं। जिसका परिणाम है कि बाल विवाह व दहेज हत्या जैसे संगीन मामलों में कमी आई है। गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले भी बेटी की पढ़ाई को लेकर गंभीर हैं। सरकार द्वारा लिगानुपात कम करने व बेटा बेटी में समानता पैदा करने के उद्देश्य से भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, भ्रूण हत्या पर रोक आदि के साथ लड़की पैदा होने पर प्रोत्साहन राशि आदि से भी इसको बहुत बल मिला है। नगर के पठखौली निवासी विजय प्रकाश पाठक व प्रेमलता पाठक की दूसरी पुत्री अंकिता आशु पाठक जिसका प्रारंभिक पठन पाठन स्थानीय स्तर से प्रारंभ होकर नरईपुर उच्च विद्यालय से मैट्रिक तक हुई। इसके बाद इंजीनियरिग के लिए उसने अपना दाखिला गाजियाबाद में लिया। इसके बाद हैदराबाद के कॉलेज से एमटेक करते हुए जॉब करने लगी। मुंबई की एक कंपनी में काम करते हुए अंकिता क्षेत्र के दर्जनों छात्र-छात्राओं को प्रतिदिन नियमित रूप से ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करती है। अंकिता ने बताया कि ऐसा संयोग कि जॉब भी ऐसी ही संस्था में लगा जहां उसकी रूचि के अनुरूप प्रबंधन के तरफ से शिक्षण कार्य के क्षेत्र में बढ़चढ़ कर भागीदारी ली जाती है। लड़कियां किसी मामले में लड़कों से कम नहीं :-

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लड़की जब घर में जन्म लेती है तो परिवार का माहौल बदल हो जाता है। अंकिता बताती हैं कि लड़कियां किसी मामले में लड़कों से कम नहीं हैं। मैंने बचपन से ही निर्णय लिया था कि मुझे कम से कम मास्टर डिग्री हासिल करनी है, क्योंकि मेरी मां ने भी साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की है। इसको लक्ष्य मान कि सबसे कम योग्यता मेरी मास्टर की डिग्री हो, मैंने एमटेक सीएमआर कॉलेज हैदराबाद से किया और वहां भी कॉलेज में टॉपर की लिस्ट में स्थान बनाने में सफल रही। अभी मैं मुंबई के एक स्टार्टअप कंपनी एक्सपट्र्रान्स टेक्नोलॉजी प्रा.लि.में टीम लीडर के पद कार्यरत हूं। यह कंपनी आज के युवाओं को सही मार्गदर्शन देना, नौकरी के काबिल बनाना और सही दिशा में कैरियर देने का काम करती है। अंकिता कहती हैं कि मैंने अपने जीवन में जो कुछ भी हासिल किया है उसका श्रेय मेरे मम्मी पापा को जाता है उन लोगों ने शायद अगर मुझे बाहर पढ़ाने की सुविधा नहीं दी होती तो शायद आज मैं इस मुकाम पर नहीं पहुंच पाती। समाज को संदेश :

समाज को संदेश देने के लिए उसने कहा कि बगहा जैसे छोटे शहर से मैं निकलकर यहां तक पहुंच गई और मुकाम हासिल किया। अगर सकारात्मक प्रयास हो तथा परिवार का साथ मिले तो छोटे शहर की लड़कियां भी वह मुकाम हासिल कर सकती हैं। लेकिन, इसके लिए परिवार का विश्वास व साथ आवश्यक है। सरकार चला रही कई योजनाएं :-

सरकार बेटियों के कल्याण के लिए कई प्रकार की योजना चला रही है। कन्या भ्रूण बचाने से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजी-रोजगार तक के लिए पहल की जा रही है। समाज में इसका सकारात्मक असर भी पड़ा है। जिसका परिणाम है कि हर वर्ग के लोगों में अपने बेटियों को पढ़ाने के प्रति जागरूकता आई है। इसको लेकर सरकार द्वारा भी जन्म से लेकर स्नातक की पढ़ाई के लिए नकद राशि से लेकर पोशाक व कॉपी किताब आदि के लिए प्रोत्साहन राशि देकर उच्च स्तरीय पढ़ाई के लिए प्रेरित कर रही है। इसके अलावे कन्या विवाह योजना में भी नकद सहयोग करने की घोषणा करते हुए कन्या सुरक्षा योजना व कन्या विवाह योजना में भी राशि दे रही है।


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