श्रीकृष्ण जन्माष्टमी सोमवार को, जन्मोत्सव की तैयारी में जुटे श्रद्धालु
बगहा। जन्माष्टमी को लेकर चारों ओर उत्साह दिख रहा है। हर तरफ लोग इसकी तैयारी में जुटे हैं।
बगहा। जन्माष्टमी को लेकर चारों ओर उत्साह दिख रहा है। हर तरफ लोग इसकी तैयारी में जुटे हैं। कई जगहों पर डोल रखकर भगवान का जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है तो कई जगहों पर झूला भी लगाया जाता है। इसको लेकर बाजार में मंदिर व मूर्तियों के सजावट सहित श्रृंगार संबंधी सामान की दुकानें सज गई है। भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को सजाने के लिए कपड़े, फूलमाला और अन्य सामानों को लेकर बाजार में रौनक है। लेकिन, पिछले साल की तरह इस बार भी कोरोना का असर देखते हुए उदासी छाई हुई है। पिछली बार के मुकाबले इस बार अच्छे व्यापार की उम्मीद है। लेकिन, चार दिनों से हो रहे लगातार बारिश से दुकानदारों में उदासी व्याप्त है।
अशोक कुमार ने बताया कि विगत वर्ष भी कोरोना को लेकर बाजार में खरीदार की संख्या कम रही। इस बार भी कुछ वैसा ही उम्मीद दिख रहा है। विनय कुमार गुप्ता ने बताया कि एक सप्ताह पहले से ही सारे सामान को लाकर दुकान भर दिया है। सुनील जयसवाल ने कहा कि पिछले साल का सामन भी अभी बचा हुआ है। लेकिन मांग की उम्मीद को देखते हुए इस बार भी तमाम आधुनिक साज सज्जा का सामान लाया गया है। दो दिन और शेष है। अगर खरीदार नहीं पहुंचे तो इस बार भी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। एक तो कोरोना ऊपर से बारिश ने व्यापार को चौपट कर दिया है। पूजा के अवसरों पर बिकने वाली सामग्रियों के थोक व्यापारी धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि मौसम की मार को देखते हुए इस बार ग्रामीण क्षेत्र के दुकानदार नहीं पहुंच सके हैं। ।
होता है आयोजन :
जन्मोत्सव के अवसर पर कई जगहों पर नाट्य कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। नयागांव निवासी छेदीलाल प्रसाद ने बताया कि उनके दरवाजे पर करीब 30 वर्षों से इस अवसर पर डोल रखकर पूजा करने व जश्न मनाने का कार्यर्क्रम होता है। जिसमें स्थानीय व बाहरी कलाकारों को बुलाकर नाटक आदि का कार्यक्रम होता है। यह कार्यक्रम छह दिनों तक चलता है। जन्मोत्सव के बाद छठिहार कार्यक्रम के बाद इसका समापन होता है। जिसमें गाजे बाजे के साथ धूमधाम से कलाकारों द्वारा विभिन्न रूपों में झांकियां निकाली जाती है। जिसका ग्रामीणों द्वारा पुरस्कार देते हुए सम्मानित ढंग से कलाकारों का उत्साहवर्द्धन भी किया जाता है।
इनसेट
जन्माष्टमी की महत्ता, व्रत और धार्मिक पक्ष के संबंध में आनंदनगर निवासी आचार्य डॉ. अशोक कुमार मिश्र ने बताया कि इस त्योहार की महत्ता यह है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान का अवतार दुष्टों के नाश करने के लिए हुआ था । ऐसी मान्यता है कि भगवान का जन्म रात के 12 बजे हुआ था सो इस दिन भक्तों द्वारा पूरा दिन उपवास करते हुए रात भर भजन कीर्तन आदि कर जश्न मनाने की परंपरा है। जिसमें कुछ भक्त रात में जन्मोत्सव के बाद फलाहार आदि कर लेते हैं तो कुछ लोग पूरे दिन रात भूखे रहकर भगवान का जन्मोत्सव मनाते हैं।