अवकाश प्राप्त रेलकर्मी बुजुर्गों को दिला रहे आंखों की रोशनी
बेतिया। स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी सेवा भाव का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते हुए नरकटियागंज के शत्रुघ्न झा अब तक 30 हजार से अधिक जरूरतमंदों को आंख की रोशनी उपलब्ध करा चुके हैं।
बेतिया। स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी सेवा भाव का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते हुए नरकटियागंज के शत्रुघ्न झा अब तक 30 हजार से अधिक जरूरतमंदों को आंख की रोशनी उपलब्ध करा चुके हैं। जब उनमें पीड़ित मानवता की सेवा को लेकर प्रेरणा जगी, तो रेलवे के स्टेशन मास्टर के पद से स्वैच्छिक रूप से अवकाश प्राप्त किया। एक दशक पहले जब रेलवे की सेवा छोड़ी, तो पूर्ण रूप से जरूरतमंदों की सेवा में लग गए। प्रत्येक वर्ष मोतियाबंद का आपरेशन कराना एवं पीड़ित मानवता की सेवा करना उनका पूर्णकालीन काम हो गया। इस बड़े अभियान के लिए सहयोग की जरूरत हुई। उन्होंने गुजरात के भंसाली ट्रस्ट से संपर्क किया। उसके नेत्र विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम हर वर्ष यहां पहुंची। आश्रम के संस्थापक शत्रुघन झा ने जिला के पिछड़े क्षेत्रों में मोतियाबिद के मरीजों की जांच पड़ताल शुरू कराई। चिह्नित मरीजों को हर वर्ष नरकटियागंज में लगने वाले कैंप में बुलाकर ऑपरेशन कराया। उन्हें खाने-पीने से लेकर मुफ्त ऑपरेशन, चश्मा और दवा दारू की व्यवस्था हुई। हालाकि कोरोना आपदा से कैंप का अभियान प्रभावित हुआ। तब श्री झा ने उस संस्था से समन्वय बना कर आपदा को अवसर में बदलने का प्रयास शुरू किया। स्थाई रूप से कैंप संचालित हो इसके, इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य संसाधनों की जरूरत को पूरा कराना शुरू किया। भंसाली ट्रस्ट के सहयोग से विश्व मानव सेवा आश्रम परिसर में नेत्र अस्पताल का कार्य आरंभ कराया है। जरूरतमंदों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके, इसके लिए 2 करो़ड़ की लागत से अस्पताल का निर्माण कराना शुरू कर दिया है। इसके निर्माण में अब तक 20 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं। उनका विश्व मानव सेवा आश्रम जरुरूमंदों की सेवा कर रहा हैं। शत्रुघ्न झा बताते हैं कि गरीब, असहाय और जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना उनकी पहली प्राथमिकता है। गांधी और विनोबा भावे के आदर्श पर चलते हुए समाज के अंतिम जन की स्वास्थ्य सेवा में लगे हुए हैं।