झाड़ियों में फेंकी मिली पीपीई किट, संक्रमण फैलने का खतरा
बगहा। कोरोना की दूसरी लहर से बचने के लिए प्रशासन की ओर से आम लोगों के साथ कड़ाई की
बगहा। कोरोना की दूसरी लहर से बचने के लिए प्रशासन की ओर से आम लोगों के साथ कड़ाई की जा रही है। मास्क पहनने एवं शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए लोगों को न सिर्फ जागरूक किया जा रहा है। बल्कि सरकार की ओर से कोविड-19 को लेकर जारी गाइडलाइन का उल्लंघन करने वालों से जुर्माना की वसूली भी हो रही है। लेकिन यहां आम लोगों को कोरोना के संक्रमण से बचाने वाले जिम्मेदारी अधिकारी एवं कर्मी ही लापरवाही कर रहे हैं। बुधवार को पुराने अस्पताल भवन के समीप झाड़ी में फेंकी हुई पीपीई किट(पर्सनल प्रोटेक्शन किट)मिली। अगल- बगल के लोगों में पीपीई किट देखकर सनसनी फैल गई। स्थानीय लोगों ने अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही के विरोध में नाराजगी व्यक्त की। वरीय अधिकारियों से शिकायत भी किया। जबकि नियमत: पीपीई किट को उपयोग कर नष्ट कर देना है या कचरा लेने के लिए आने वाली एजेंसी को सौंप देना है। यहां बता दें कि स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रखंड मुख्यालय स्थित पुराने अस्पताल परिसर में नवाचारी निधि से बने रोगी प्रतीक्षालय में जैव चिकित्सा अवशिष्ठ भंडार बनाया गया है। जहां स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा इस्तेमाल किए गए पीपीई किट, मास्क, ग्लबस आदि को रखना है।लेकिन अस्पताल मे उपयोग किया गया किट अस्पताल परिसर के बाहर यत्र तत्र फैला हुआ है। आक्रोशित ग्रामीणों ने इसकी शिकायत सीएस अरुण कुमार सिन्हा से किया। आक्रोशित ग्रामीण फिरोज आलम, किसून साह, रोगी कल्याण समिति सदस्य अशोक कुमार राम, शेख नसीम, आदि ने बताया कि उपयोग कर फेंके गए किट से संक्रमण फैलने की प्रबल संभावना बनती है। अस्पताल सूत्रों ने बताया कि प्लेसेंटा डिस्ट्रॉय करने कार्य मुजफ्फरपुर की एजेंसी को दिया गया है। यहां केवल कागजी कोरम पूरा होता है। प्लेसेंटा को मरीज के अभिभावक प्लास्टिक में ले जाकर नदी में फेंकने का काम करते हैं। वही इस बावत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विजय कुमार चौधरी ने बताया कि पीपीई किट को डिस्ट्रॉय करने के लिए अलग स्थान पर रखना है। अगर वह झाड़ी में फेंका हुआ है तो यह सरासर गलत है। उसे अविलंब बीसीएम को निर्देश देकर हटवाने का काम किया जा रहा है।