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दूसरी डोज के लिए भटक रहे लोग, झोलाछाप के भरोसे मरीज

कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए 18 वर्ष से ऊपर वाले लोगों को एक मई से टीका लग रहा है लेकिन पीएचसी स्तर पर इसकी व्यवस्था नहीं होने के कारण टीकाकरण को गति नहीं मिल पा रही है। वहीं दूसरी ओर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सेमरा में बीते माह तीन अप्रैल से 45 वर्ष के ऊपर के जिन लोगों ने कोविड टीका की पहली डोज ली थी उनके दूसरे डोज की अवधि पूरी हो चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 01:54 AM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 01:54 AM (IST)
दूसरी डोज के लिए भटक रहे लोग, झोलाछाप के भरोसे मरीज
दूसरी डोज के लिए भटक रहे लोग, झोलाछाप के भरोसे मरीज

बगहा । कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए 18 वर्ष से ऊपर वाले लोगों को एक मई से टीका लग रहा है, लेकिन पीएचसी स्तर पर इसकी व्यवस्था नहीं होने के कारण टीकाकरण को गति नहीं मिल पा रही है। वहीं दूसरी ओर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सेमरा में बीते माह तीन अप्रैल से 45 वर्ष के ऊपर के जिन लोगों ने कोविड टीका की पहली डोज ली थी, उनके दूसरे डोज की अवधि पूरी हो चुकी है। एपीएचसी में अबतक दूसरे डोज की व्यवस्था नहीं होने के कारण ग्रामीणों को चिता सताने लगी है।

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यहां बताते चलें कि एपीएचसी सेमरा, नौतनवा व चिउटाहां में अबतक कोविड-सील व को-वैक्सीन की पहली डोज लगा बहुत से लोगों को लग चुका है। प्रभारी चिकित्सक पदाधिकारी हरनाटांड डॉ. राजेश कुमार नीरज ने बताया कि शीघ्र ही पीएचसीस्तर पर कोविड टीकाकरण शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए लगातार प्रयास जारी है। बताया कि कोविड-सील टीका की पहली डोज के बाद 42 से 56 दिन के अंदर दूसरी डोज लेना है। जबकि को-वैक्सीन की पहली डोज लेने वालों के लिए दूसरी डोज 28 से 56 दिन के अंदर में लेना ज्यादा लाभदायक है। हम ससमय सभी को दूसरी व पहली डोज देने में सफल हो जाएंगे। बंद पड़ा ओपीडी, ग्रामीण परेशान

ग्रामीण क्षेत्र में भी अब कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में ग्रामीणों के स्वास्थ्य की देखरेख भगवान भरोसे है। कारण अतिरिक्त प्राथमिकी स्वास्थ्य केंद्र सेमरा, नौतनवा व चिउटाहां में करीब दो सप्ताह से ओपीडी बंद है। कारण चिकित्सक की कमी। बहुत से चिकित्सक अतिरिक्त प्रभार में चल रहे हैं। जिनकी नियुक्ति अनुमंडलीय अस्पताल से लेकर कोविड टीकाकरण कैंप जि कर दिया गया है। तीन चार दिन से मौसम भी लोगों को परेशान किए हुआ है। कभी बारिश तो कभी तेज धूप से लोगों अन्य बीमारी से भी ग्रस्ति हो रहे हैं। जिनकी देख रेख करने वाला सरकारी अस्पतालों में कोई नहीं है। हालांकि इस दौरान इंडोर इलाज की व्यवस्था फिलहाल सभी जगहों पर सुचारू है।

झोलाछाप की कट रही चांदी

कोरोना संक्रमण की मार अब ग्रामीणस्तर पर भी होने लगा है। लॉकडाउन के बाद ज्यादातर प्रवासी मजदूरों की घर वापसी होने लगी है। लेकिन, ग्रामीण स्तर पर लोगों को संक्रमण से बचान के लिए सरकारी इंतेजाम नाकाफी साबित हो रहा है। दो दिनों से रुक रुक कर बारिश व तेज धूप से लोग परेशान हैं। सर्दी, खांसी, बुखार अब हर घर में आम बात हो गया है। बीमार लोग अगर किसी बड़े चिकित्सक के पास जा भी रहे हैं तो उन्हें दूर से ही देख परामर्श व दवाईंयां लिख दी जा रही है। ऐसे में ग्रामीण चिकित्सकों की भी चांदी कट रही है।


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