वीटीआर से गायब हो रहा औषधीय गुणों से भरपूर सतावर
बगहा। गोबर्द्धना, औषधीय गुणों से भरपूर सतावर का पौधा वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) से गायब होने की
बगहा। गोबर्द्धना, औषधीय गुणों से भरपूर सतावर का पौधा वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) से गायब होने की कगार पर है। 840 वर्ग किलोमीटर में फैले इस जंगल के बहुत से हिस्से में इसके पौधे पाए जाते थे। लेकिन, आज कम ही बचे हैं। इसका कारण वन विभाग की उपेक्षा और तस्करी है।
80 के दशक में सतावर का पौधा गोवर्धना, रघिया, चिउटाहां और हरनाटाड़ वन क्षेत्र में काफी संख्या में मिलता था। पौधों को निकालने के लिए बोली लगाई जाती थी। 1995 में वीटीआर के गठन के बाद इस पर रोक लग गई। इसके बाद से तस्करों की गतिविधिया बढ़ गईं। वे सतावर के पौधों की तस्करी करने लगे। वीटीआर प्रशासन इस पर रोक लगा पाने में असफल है। वनवर्ती इलाके में इसकी कोमल पत्तियों का साग लोग बड़े चाव से खाते हैं।
कई रोगों में लाभकारी : सतावर की जड़ें स्वाद में मधुर, रसयुक्त और तासीर में शीतल होती हैं। इसका मुख्य प्रभाव पुरुष प्रजनन पर दिखता है। इसे वीर्यवर्धक माना जाता है। यह जठराग्निवर्धक, पुष्टिकारक, स्निग्ध, आंत, अतिसार एवं पित्त-रक्त के शोधन की क्षमता से परिपूर्ण होता है। इसके अतिरिक्त ल्युकोरिया, अनियमित मासिक चक्र, एनीमिया और गर्भपात समेत अन्य स्त्री रोगों में लाभदायक होता है। इतना फायदेमंद होने के बावजूद वन विभाग ने इसे संरक्षित पौधों की श्रेणी में शामिल नहीं किया है।
गोबर्द्धना के रेंजर मानवेंद्रनाथ चौधरी का कहना है कि सतावर स्वत: उगता है। इसके बीज टूटकर गिरते हैं। इससे पौधा उगता है। इसका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। इसके लिए वन विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है।
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