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मेडिकल कॉलेज को मिला शैक्षणिक भवन, शिफ्ट होंगे विभाग

बेतिया। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल की उपलब्धि में मंगलवार को एक और अध्याय जुड़ गया। क

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 12:27 AM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 05:12 AM (IST)
मेडिकल कॉलेज को मिला शैक्षणिक भवन, शिफ्ट होंगे विभाग
मेडिकल कॉलेज को मिला शैक्षणिक भवन, शिफ्ट होंगे विभाग

बेतिया। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल की उपलब्धि में मंगलवार को एक और अध्याय जुड़ गया। कॉलेज को नया शैक्षिक भवन एवं ऑक्सीजन जेनेटिक प्लांट का तोहफा मिला। सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से शैक्षिक भवन का उद्घाटन एवं ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट का शिलान्यास किया। इसके साथ ही विभिन्न विभागों के बेहतर संचालन की उम्मीद बढ़ गई। जैसे ही उद्घाटन के लिए लगाया यह पर्दा हटा तालियों की गड़गड़ाहट से कॉलेज परिसर गूंज उठा। इस दौरान वर्चुअल ढंग से उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, विभागीय अधिकारी, डीएम कुंदन कुमार, सांसद डॉ संजय जयसवाल, प्राचार्य डॉ विनोद प्रसाद, अधीक्षक प्रमोद कुमार तिवारी, विभिन्न विभाग के विभागाध्यक्ष, बीएमएसआईसीएल एवं एलएनटी के अधिकारी उपस्थित रहे। बता दें कि गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज की स्थापना 2008 में हुई। वर्ष 2013 से यहां पढ़ाई शुरू हुई। उस समय से शैक्षिक भवन की मांग की जा रही थी। भवन के अभाव में विभिन्न विभागों के संचालन में काफी परेशानी हो रही थी। लेकिन आब विभिन्न विभागों के संचालन में काफी सहूलियत होगी। बताया जाता है कि शैक्षणिक भवन प्राप्त होने से यहां करीब आधा दर्जन विभागों का संचालन होगा। प्रीक्लिनिकल एवं पारा क्लिनिकल विभाग संचालित किए जाएंगे। इनमें पैथोलॉजी माइक्रोबायोलॉजी, एफएमटी, एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री आदि का नाम शामिल है। इसके साथ ही बेहतर व्यवस्था के बीच छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई भी पूरी कर सकेंगे।

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इनसेट

सिलेंडर से मिलेगी मुक्ति, प्लांट से सीधे बेड तक पहुंचेगा ऑक्सीजन

गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में ऑक्सीजन जेनरेटिक प्लांट स्थापित होगा। इसका शिलान्यास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से किया। इसके साथ ही प्लांट के स्थापित होने का रास्ता साफ हो गया। बताया जाता है कि प्लांट तैयार होने के बाद सीधे पाइपलाइन के माध्यम से मरीजों के बेड तक बेहतर ढंग से ऑक्सीजन की आपूर्ति होगी। मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे नहीं रहना पड़ेगा।

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