रक्षाबंधन पर फीका रहा बाजार, नहीं दिखे खरीदार
बगहा सहित आसपास के क्षेत्रों में कोरोना ने इस कदर अपना कहर ढाया है कि चाह कर भी बहुत लोग घर से बाहर नहीं निकल रहा है। इसी में भाई बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन का आना सबको मायूस कर दिया। क्षेत्र की बहुत सी बहने अपने ससुराल में हैं जो इस अवसर पर मायके आकर न सिर्फ भाई को राखी बांधती हैं बल्कि इसी बहाने माता पिता से भी मिल लेती है। वहीं बहुत भाई अपनी प्यारी बहना के घर जाकर भी राखी बंधवाते रहे हैं।
बगहा । बगहा सहित आसपास के क्षेत्रों में कोरोना ने इस कदर अपना कहर ढाया है कि चाह कर भी बहुत लोग घर से बाहर नहीं निकल रहा है। इसी में भाई बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन का आना सबको मायूस कर दिया। क्षेत्र की बहुत सी बहने अपने ससुराल में हैं जो इस अवसर पर मायके आकर न सिर्फ भाई को राखी बांधती हैं बल्कि इसी बहाने माता पिता से भी मिल लेती है। वहीं बहुत भाई अपनी प्यारी बहना के घर जाकर भी राखी बंधवाते रहे हैं। लेकिन इस वर्ष ऐसा हुआ कि कोरोना के कारण ना तो भाई को बहन के यहां जाने की ललक बन रही है और ना ही बहन भाई के घर आ रही है। कोरोना की बेड़ी ने सबको जकड़ कर रखा दिया है। ससूराल में बैठी बहन के घर प्रत्येक वर्ष अवसर पर जाने वाले बांसगांव निवासी निरंजन कुमार ने बताया कि करीब दस वर्षों से मैं प्रत्येक वर्ष बहन के घर जाकर उससे राखी बंधवाने के साथ उसका आशिर्वाद लेता रहा हूं। इस साल नहीं पहंच पाने का अफसोस जताते हुए कोरोना को कोस रहे हैं। नगर की शास्त्रीनगर निवासी कुमुद कुमारी ने बताया कि उसका मायका चौतरवा है शादी के बाद से प्रत्येक वर्ष हम अपने मायके जाकर भाइयों को राखी बांधने के अलावे माता पिता से आशीर्वाद लेते आए हैं। इस काम में पति के साथ घर वालों का भी सहयोग मिलता रहा है। लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण ना हम जा रहे हैं और ना ही वे लोग मेरे घर आ रहे हैं।
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शुभ मूहुर्त सोमवार को सुबह आठ बजकर तीस मीनट के बाद पूरा दिन अच्छा संयोग है। बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांध सकती है। इस संबंध में आचार्य पंडित डा. अशेक कुमार मिश्र ने बताया कि सुबह के आठ बजकर 28 मीनट तक भद्रा है। उस समय राखी बांधना अशुभ माना गया है। अत: उसके बाद ही राखी बांधना या बंधवाना शुभ रहेगा।