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मकर संक्रांति समाज के समरसता का प्रतीक

बेतिया। यूं तो चावल, दाल और सब्जी आदि का अपना अलग-अलग अस्तित्व होता है, लेकिन जब इन सबके मिश्रण से खिचड़ी बनती है, तो उसका स्वाद अनोखा होता है,क्योंकि इस खिचड़ी में सब चीजें अलग नहीं रहती बल्कि अपना अस्तित्व मिटाकर एकाकार हो जाती हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 10:32 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 10:32 PM (IST)
मकर संक्रांति समाज के समरसता का प्रतीक
मकर संक्रांति समाज के समरसता का प्रतीक

बेतिया। यूं तो चावल, दाल और सब्जी आदि का अपना अलग-अलग अस्तित्व होता है, लेकिन जब इन सबके मिश्रण से खिचड़ी बनती है, तो उसका स्वाद अनोखा होता है,क्योंकि इस खिचड़ी में सब चीजें अलग नहीं रहती बल्कि अपना अस्तित्व मिटाकर एकाकार हो जाती हैं। वैसे ही हिन्दू समाज के प्रत्येक घटक को अपने जाति का अहंकार त्याग कर हिन्दुत्व के लिए जीना होगा। तभी जिस वैभवशाली राष्ट्र की कल्पना हमारे पूर्वजों ने की थी वह साकार होगी। उक्त बातें संघ के जिला मार्ग प्रमुख कृष्णमोहन हिन्दू ने कही। वे मकर संक्रांति के मौके पर जयप्रकाश नगर में आयोजित समरसता खिचड़ी भोज में उपस्थित लोगो को संबोधित कर रहे थे। जाति प्रथा के ऊपर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि जातिवाद वह जहर है, जो समाज को खोखला कर रहा है। संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक जातिवाद को मिटाने के लिए संकल्पित है और इसीलिए आज समाज में संघ की पहुंच तेजी से बढ़ रही है।बता दें कि मकर संक्रांति के मौके पर नगर में संतघाट,कालीबाग, जयप्रकाश नगर,उत्तरवारी पोखरा, राजद्योढ़ी, बानूछापर समेत दर्जनों जगहों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने खिचड़ी सह समरसता भोज का आयोजन किया। नगर कार्यवाह अजय कुमार ने बताया कि संघ ने निर्णय किया है कि इस वर्ष पूरे नगर के हर बस्ती में खिचड़ी का आयोजन किया जाएगा।यह आयोजन मकर संक्रांति से प्रारंभ होकर एक सप्ताह तक चलेगा।

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