तंबू तान तटबंध पर जीना बनी मजबूरी
बाढ़ प्रभावित इलाके से पानी तो कम होने लगी है। लेकिन अब उमस भरी गर्मी के कारण बाढ़ प्रभावित लोगों की बेचैनी और बढ़ा दी है। मूसलाधार बारिश व गंडक नदी में बढ़ते उफान के कारण कई दियारावर्ती इलाके जलमग्न हो गए थे। घरों में पानी घुस गया था। लोग अपना घर-बार छोड़ कर ऊंचे स्थान पर रहने के लिए विवश थे।
बेतिया । बाढ़ प्रभावित इलाके से पानी तो कम होने लगी है। लेकिन अब उमस भरी गर्मी के कारण बाढ़ प्रभावित लोगों की बेचैनी और बढ़ा दी है। मूसलाधार बारिश व गंडक नदी में बढ़ते उफान के कारण कई दियारावर्ती इलाके जलमग्न हो गए थे। घरों में पानी घुस गया था। लोग अपना घर-बार छोड़ कर ऊंचे स्थान पर रहने के लिए विवश थे। लेकिन अब जैसे-जैसे पानी कम हो रही है। वे अपने घरों की ओर रूख कर रहे है। भगवानपुर, शिवराजपुर, मंगलपुर और श्यामपुर कोतरहां गांव में गंदगी जम गई है। जिससे संक्रमण फैलने का खतरा है। लिहाजा बाढ़ प्रभावित लोग आज भी चंपारण तटबंध पर तंबू जान कर जीवन यापन कर रहे है। वहीं प्रशासन की ओर से सहायता के नाम पर उन्हें सूखा राशन व तंबू बनाने के लिए प्लास्टिक दिया गया है। मेडिकल टीम की ओर से संक्रमण को रोकने के लिए दवा भी उपलब्ध कराई जा रही है। कई बाढ़ पीड़ितों का कहना हैं आखिर इस परिस्थिति में कहां जाएं। एक तरफ बाढ़ ने पूरे फसल को बर्बाद कर दिया है। वहीं दूसरी ओर कोरोना महामारी के कारण बाजार जाना मुश्किल हो गया है।