बेतिया में साफ-सफाई का महज कोरम पूरा, बेहतर रैंकिग का अरमान अधूरा
राष्ट्रीय स्वच्छता रैंकिग में पिछले वर्ष की तुलना में पिछड़ने के बाद शहरवासियों में निराशा है। सफाई पर प्रतिमाह लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी रैंकिग में सुधार की बजाय बेतिया नीचे खिसक गया है। अपने ही जिले के छोटा शहर भी जिला मुख्यालय बेतिया से बाजी मार लिया है।
बेतिया । राष्ट्रीय स्वच्छता रैंकिग में पिछले वर्ष की तुलना में पिछड़ने के बाद शहरवासियों में निराशा है। सफाई पर प्रतिमाह लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी रैंकिग में सुधार की बजाय बेतिया नीचे खिसक गया है। अपने ही जिले के छोटा शहर भी जिला मुख्यालय बेतिया से बाजी मार लिया है। हालांकि लोगों ने भविष्य के लिए उम्मीद नहीं छोड़ी है। रैंकिग में पिछड़ने की एक वजह स्वच्छता के प्रति जागरूकता का अभाव भी माना जा रहा है। इसके अलावा पुराने ढर्रे पर नगर निगम की कार्य शैली भी एक बड़ा कारण है। पार्षदों की आपसी खींचतान, कुर्सी की लड़ाई, स्वच्छता के लिए ईमानदार प्रयास का अभाव, रैंकिग में ऊपर उठने के जज्बा का अभाव आदि के कारण ही स्वच्छता के मामले में बेतिया कई शहरों से पिछड़ गया है। शहर की कई समस्याएं सुरसा की भाति मुंह बाए खड़ी है, जो भविष्य की स्वच्छता रैंकिग के लिए शुभ नही है। सड़कों और नालियों का अतिक्रमण, यत्र-तत्र कूड़ा फेंकने की आदत, शहर में पार्किंग स्थल का अभाव, शहर में बिचरने वाले आवारा पशुओं के लिए कोई व्यवस्था नहीं आदि ऐसी समस्या है जिनके रहते स्वच्छता रैंकिग में शीर्ष पर पहुंचना आसान नहीं दिखता। शहर के लोगों का कहना है कि अगर रैंकिग में बेहतर पोजीशन हासिल करनी है तो हमें इन समस्याओं का समय रहते हल ढूंढना होगा। नगर निगम के कार्य शैली में बदलाव लानी होगी। स्वच्छता के प्रति आम लोगों को जागरूक करना होगा। सरकारी विभागों की कार्यशैली में सुधार के साथ-साथ इसके लिए शहरवासियों को जागरूक व प्रेरित करना होगा। तभी शहर का कायाकल्प हो सकेगा। अतिक्रमण शहर की एक बड़ी समस्या है। अतिक्रमण का असर सफाई कार्य पर भी पड़ता है। अतिक्रमण हटाने के लिए कभी कभार अभियान जरूर चलता है, लेकिन इसे बीच में ही रोक दिया जाता है। ²ढ़ इच्छाशक्ति के साथ इन तमाम समस्याओं के निदान के बाद ही स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिग में टॉप पर पहुंचने की उम्मीद की जा सकती है।
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कचरा निस्तारण व्यवस्था पर सुधार जरूरी
शहर के बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि शहर को स्वच्छ रखने के लिए प्लान के साथ काम करना होगा। होटल मालिक अविरल नीलेश ने कहा कि जगह-जगह कूड़ेदान और कई प्रकार की सुविधाओं के बावजूद भी सड़क किनारे यत्र तत्र कचरा बिखरा रहता है। इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा। कपड़ा दुकानदार अमृत मोटानी ने कहा की स्वच्छता के लिए खुदरा दुकानदारों और ठेला खोमचे वालों को स्वच्छता के नफा नुकसान समझा उन्हें जागरूक करना होगा। सरकारी सेवक अजय कुमार ने कहा की जिम्मेवार लोगों को ईमानदारी पूर्वक अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी तभी हम रैंकिग में बेहतरी की उम्मीद कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि नियमों की कड़ाई से पालन कराई जाए। इसमें आम लोगों की भी भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
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स्वच्छता प्रहरी :
शहर की स्वच्छता के लिए मैं शिक्षाविद होने के नाते बच्चों, उनके अभिभावकों एवं शिक्षकों के बीच स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने की पूरी कोशिश करूंगा। बच्चों के सहयोग से उनके घरों, मोहल्ले, परिवेश में सांकेतिक सफाई अभियान कार्यक्रम, नुक्कड नाटक करके शहर वासियों को सफाई के प्रति सजग और प्रोत्साहित करने का कार्य किया जाएगा। सभी वार्डो में साफ़-सफाई प्रतियोगिता एवं सरकारी या अर्धसरकारी प्रतिष्ठान के अधिकारियों से चर्चा कर के शहर को साफ़ रखने की मांग रखूंगा।
इमैनुएल शर्मा, निदेशक सेंट माइकल्स अकादमी बेतिया सह समाज सेवी व शिक्षाविद।