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इंदिरा जी ने दिया था ईमानदारी का पुरस्कार, सिस्टम ने दिया धोखा

ईमानदार खदेरू को सिस्‍टम ने ऐसा धोखा दिया कि वे अधिकारियों के चक्कर काटते-काटते उम्र के चौथे पड़ाव पर पहुंच गए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Tue, 05 Jun 2018 07:44 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jun 2018 11:17 PM (IST)
इंदिरा जी ने दिया था ईमानदारी का पुरस्कार, सिस्टम ने दिया धोखा
इंदिरा जी ने दिया था ईमानदारी का पुरस्कार, सिस्टम ने दिया धोखा

पश्चिमी चंपारण [जेएनएन]। बिहार के पश्चिमी चंपारण के बगहा के निवासी खदेरू के दिल में न कोई लालच और न ही छल-कपट। ईमानदारी इस कदर कि प्रधानमंत्री  इंदिरा गांधी तक तारीफ करती थीं। प्रभावित होकर वाल्मीकिनगर में खेती योग्य 20 एकड़ जमीन दी थी। उसका कागज तो मिल गया, लेकिन 38 साल से कब्जा नहीं मिल सका है। अधिकारियों के चक्कर काटते-काटते उम्र के चौथे पड़ाव पर पहुंच गए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अब तो उन्होंने आस भी छोड़ दी है।

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80 वर्षीय खदेरू बताते हैं, बात मई 1980 की है। अन्य दिनों की भांति हल-बैल लेकर खेत की जोताई करने बगहा एक स्थित स्टेट बैंक के पीछे अपने खेत पर गया था। कड़ी धूप में अचानक हल किसी चीज से टकराकर फंस गया। कुदाल से खुदाई की तो बड़ी सी सुराही निकली। उसमें सोने-चांदी के सिक्के और जेवरात भरे थे। तौल कराने पर साढ़े आठ किलो सोना और साढ़े सात किलो चांदी निकली।

मन में यह बात घर कर गई कि यह मेरा नहीं है। मैंने तय किया कि सरकार को सौंप दूंगा। मुझ पर प्राणघातक हमला भी हुआ, लेकिन जिद पर अड़ा रहा। आखिरकार तत्कालीन डीएम ने मेरी भावना समझी और मुझे लेकर दिल्ली पहुंचे। वहां तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात हुई और मैंने खजाना उन्हें सौंप दिया।

जमीन का पर्चा मिला, पर कब्जा नहीं

खदेरू की ईमानदारी देख इंदिरा गांधी गदगद हो गईं। उन्होंने सौगात के तौर पर उन्हें 20 एकड़ जमीन देने का आदेश डीएम को दिया। वापस आने पर डीएम ने वाल्मीकिनगर में जमीन का पर्चा खदेरू को सौंप दिया। अभी वे कब्जा दिला पाते, तब तक उनका तबादला हो गया।

नए डीएम आए तो खदेरू उनसे मिले। लेकिन कुछ नहीं हुआ। 1985 में तत्कालीन डीएम ने अपर समाहर्ता को भूमि पर कब्जा दिलाने का आदेश दिया। वे अमीन लेकर मौके पर पैमाइश करने वाल्मीकिनगर पहुंचे तो वह जमीन वन विभाग की निकल गई। इसके चलते कब्जा नहीं मिल सका।

इसके बाद खदेरू हर दो-चार महीने पर अधिकारियों के चक्कर काटते रहे, लेकिन जमीन नहीं मिली। पिछले छह साल से उन्होंने यह कोशिश भी छोड़ दी है। तीन बेटियों के पिता खदेरू ने मुफलिसी झेलते हुए बेटियों के हाथ पीले किए। अब पत्नी के साथ पुश्तैनी मकान में रहते हैं। छोटी पुत्री के पुत्र को उन्होंने गोद ले रखा है।

यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। पीडि़त व्यक्ति मिले तो जांच कर उचित कार्यवाही की जाएगी।

-श्रीराम उरांव

सीओ, बगहा दो


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