सरकारी चापाकल के भरोसे नहीं पूरी होती पानी की जरूरत
भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप में सड़क से गुजरने वाले अधिकांश राहगीरों को प्यास तो लगती ही है। ऐसे में अगर पीने के लिए पानी न मिले तो क्या गुजरेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकार ने विभिन्न विभागों की मदद से कई योजनाओं के तहत गांव गांव में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था को सु²ढ़ करने का प्रयास किया।
बेतिया । भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप में सड़क से गुजरने वाले अधिकांश राहगीरों को प्यास तो लगती ही है। ऐसे में अगर पीने के लिए पानी न मिले तो क्या गुजरेगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकार ने विभिन्न विभागों की मदद से कई योजनाओं के तहत गांव गांव में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था को सु²ढ़ करने का प्रयास किया। इसके तहत कई गांवों में चापाकल भी लगाए गए। अब तो सरकार गांव गांव शुद्ध पेयजल के लिए हर घर नल का जल योजना भी धरातल पर उतार रही है। मगर इन योजनाओं का कितना लाभ ग्रामीणों को मिल रहा है, यह पड़ताल में सामने आया है। प्रखंड के धुमनगर पंचातय के बरवा गांव दो वार्डों में बटा है। जहां करीब 12 सौ से 15 सौ के बीच आबादी है। यहां गांव में पिछले एक दशक में दर्जनभर चापाकल लगाए गए। लेकिन इन चापाकलों में से पिछले तीन चार सालों के भीतर दो से तीन चापाकल का तो नामो निशान तक मिट गया।
इधर प्रखंड की बीडीओ निभा कुमारी ने बताया कि पंचायत के कई वार्डों में हर घर नल का जल योजना पर कार्य चल रहा है। एक दो वार्ड में इसे पूरा भी कर लिया गया है। बरवा गांव में भी जल्द ही हर घर नल का जल योजना का कार्य आरंभ किया जाएगा।
वहीं जिला मुख्यालय के शिक्षक नगर की बात करें, तो वहां स्थिति और भयावह है।
जिले में भीषण गर्मी का प्रकोप शुरू है। आग के गोले बरस रहे हैं। लोगों का हाल बेहाल है। धरती तक तप जा रही है। लोगों को इस गर्मी के इस भीषण प्रकोप से बचने के लिए पानी ही सहारा होता है।लेकिन शहर के शिक्षक नगर बसवरिया वार्ड 31 के लोगों को शुद्ध पेयजल मयस्सर नहीं है। लोगों को शुद्ध पेयजल के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है। कहने को तो इस वार्ड में करीब आधा दर्जन सरकारी चापाकल लगाए गए है।लेकिन कुछ तो वर्षों से बंद पड़े हैऔर जो चालू हालत में है उनका पानी पीने योग्य नहीं है। इस चापाकल के पानी को अगर आधा घंटा बोतल में रख दे तो बोतल पीला हो जाता है। इसके बावजूद भी वार्ड 31 के बसवरिया मोहल्ले की दलित परिवार के लोग इस पानी का उपयोग बर्तन कपड़ा धोने के साथ-साथ पीने में भी करते हैं। बसवरिया मोहल्ले में महादलित वर्ग के लोग निवास करते हैं। लेकिन उन्हें भी शुद्ध पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है। मोहल्ले के आर्थिक रुप से संपन्न लोग अपने घरों में बोरिग कराकर शुद्ध पेयजल पीते हैं।वही गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों को दूषित पानी पीने की आदत सी बन गई है। मोहल्ले वासियों का कहना है कि गरीब परिवार के लोगों का 30 फीट पाइप वाले चापाकल का दूषित पानी ही सहारा है। कुछ लोग तो डब्बावाला पानी खरीद कर पीने के काम में लाते हैं लेकिन सरकारी स्तर पर लोगों को शुद्ध पेयजल के लिए कोई बेहतर व्यवस्था नहीं की गई है लोगों को दूषित पानी पीने से कई तरह के बीमारी होने का भी खतरा बना रहता है।इसके बावजूद भी गरीबों को इस दूषित पानी पीने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है।
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नहीं मिल रहा हर घर नल योजना का लाभ
शहर के शिक्षक नगर बसवरिया वार्ड 31 के लोगों को सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हर घर नल योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। मोहल्ले के मुख्य मार्ग में केवल पाइप बिछाकर छोड़ दिया गया है। लेकिन मुख्य मार्ग से घरों में ना तो पाइप बिछाया गया है। और ना ही टंकी का निर्माण कराया गया है। जिसके कारण आज भी लोगों को शुद्ध पेयजल के लिए तरसना पड़ता है। ऐसी स्थिति में सरकार की हर घर नल योजना फिसड्डी साबित हो रही है। और लोगों को शुद्ध पेयजल के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है या तो दूषित पानी पीने की विवशता है।
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दो चापाकल के भरोसे दस हजार की आबादी
शहर के वार्ड 31 में करीब दस हजार की आबादी रहती है। वहीं बसवरिया मोहल्ले में अधिकांश महादलित परिवार के लोग निवास करते हैं। लेकिन इन लोगों के लिए सरकार के तरफ से कहने को तो करीब आधा दर्जन चापाकल लगाए गए हैं। लेकिन ज्यादातर वर्षों से बंद पड़े हैं ।और जो चालू हालत में है उनका पानी पीने योग्य नहीं है। ऐसी स्थिति में सरकारी स्तर पर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।
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सब्जियों का बढ़ेगा उत्पादन पर बार-बार सिचाई की करनी होगी व्यवस्था
उच्च तापमान बढ़ने से जहां एक ओर लोगों के बीच त्राहिमाम की स्थिति हो गई है, तो दूसरी ओर फल सब्जियों के उत्पादन में भारी इजाफा होगा। यह कहना है कि माधोपुर क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र के मुख्य वैज्ञानिक डा. अजित कुमार का। उनके अनुसार ज्यादा गर्मी एवं तापमान में इजाफा होने से सब्जियों में फोटोसिथेसिस की क्रिया काफी तेज हो जाती है। इससे सब्जियों में भोजन का निर्माण भी तेजी से होने लगता है। इससे सब्जियों का उत्पादन भी बढ़ जाता है। लेकिन ज्यादा तापमान होने की स्थिति में उसमें वाष्पोज्सर्जन की क्रिया भी तेज हो जाती है। इससे सब्जियों में बार-बार सिचाई देने की आवश्यकता पड़ेगी। कृषि वैज्ञानिक ने इसके लिए किसानों को बार-बार सिचाई देने की सलाह दी है। दूसरी ओर गन्ने की फसल में भी अच्छा असर पड़ेगा। इसमें गन्ने की तने की लंबाई बढ़ेगी और उसका वजन भी बढ़ेगा, लेकिन इसमें भी किसानों को हल्की सिचाई देने की आवश्यकता पड़ेगी। वैज्ञानिक डा. कुमार ने कहा कि तापमान में बढ़ोत्तरी का असर मक्का पर भी अनुकूल पड़ेगा। मक्का पकने की स्थिति में है। ऐसे में इसके दाने के भंडारण में कीट पतंगों का असर नहीं पड़ेगा।