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फिल्में तो होतीं रहेंगी, पिता की सेवा का सौभाग्य मिलना मुश्किल: मनोज बाजपेयी

चंपारण के लाल फिल्म अभिनेता मनोज बाजपेयी के अपने पैतृक गांव पहुंचने की सूचना पर मिलने के लिए दिन भर उनके यार - दोस्तों व ग्रामीणों का तांता लगा रहा। हालांकि कोरोना की वजह से दो वर्ष बाद गांव आए मनोज बाजपेयी ने अपना अधिक समय बीमार पिता राधाकांत बाजपेयी के साथ गुजारा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 11:52 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 11:52 PM (IST)
फिल्में तो होतीं रहेंगी, पिता की सेवा का सौभाग्य मिलना मुश्किल: मनोज बाजपेयी
फिल्में तो होतीं रहेंगी, पिता की सेवा का सौभाग्य मिलना मुश्किल: मनोज बाजपेयी

बेतिया । चंपारण के लाल फिल्म अभिनेता मनोज बाजपेयी के अपने पैतृक गांव पहुंचने की सूचना पर मिलने के लिए दिन भर उनके यार - दोस्तों व ग्रामीणों का तांता लगा रहा। हालांकि कोरोना की वजह से दो वर्ष बाद गांव आए मनोज बाजपेयी ने अपना अधिक समय बीमार पिता राधाकांत बाजपेयी के साथ गुजारा। इसबीच, मित्रों सहित गांव के लोगों से भी मिले और हालचाल लिया। उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी मेरे आदर्श हैं। उन्होंने कहा पिताजी की तबियत खराब होने की सूचना मिली, तुरंत सब छोड़- छाड़ कर घर आ गया। फिल्में होतीं रहेगी लेकिन पिता के साथ समय गुजाराना सबसे बड़ी दौलत है। गांव के मित्रों एवं स्कूल के साथी शिक्षाविद ज्ञानदेव मणि त्रिपाठी से कहा हमेशा गांव की याद आती रहती है। गांव के लोगों का प्रेम हमेशा यहाँ खींच कर हमेशा लाता

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है। अपने बीमार पिता के सिरहाने दिन भर बैठे रहे अभिनेता ने कहा कि इस सुखद पल का एहसास बहुत हीं अनमोल है। जीवन में काम से फंर्सत कभी नही मिलने वाला है। जिदगी में पिता की सेवा करना पुत्र का धर्म है। यह मेरी जन्म भूमि है हम कही भी रहे लेकिन इसकी याद हमेशा दिल संयो कर रखते है।

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थोड़ी देर के लिए खेत की ओर गए मनोज बाजपेयी

दोपहर के बाद मनोज बाजपेयी थोड़ी देर के लिए गांव में निकले। तब तक उनके बीमार पिता की सेवा मनोज की धर्म पत्नी नेहा लगी रहीं। मनोज गांव के मित्रों एवं अन्य के घर गए। भोजपुरी भाषा में सबों का हाल - चार पूछा और कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सबों से मास्क लगाने की अपील की। उसके बाद गांव के समीप हड़बोड़ा नदी के किनारे खेत देखने के लिए पहुंच गए। खेतों में लगे गन्ने के फसल को देखकर कहा कि इस बर्ष मौसम अनुकूल रहने के कारण गन्ने की फसल अच्छी है। आम के बगीचे में गए। नदी से कटाव की स्थिति के बारे में लोगों से जानकारी ली।

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नेहा ने संभाला कुशल ग़ृहिणी का दायित्व

11 वर्ष बाद ससुराल आईं मनोज बाजपेयी की धर्म पत्नी व अभिनेत्री नेहा को देखने के लिए गांव की महिलाओं की भीड़ लगी रही। हालांकि महानगरीय परिवेश में रहने वाली नेहा यहां पूरी तरह से कुशल गृहिणी की भूमिका में नजर आईं। श्री बाजपेयी से मिलने के लिए आने वाले लोगों का स्वागत सत्कार से लेकर बीमार ससुर की सेवा व गांव की महिलाओं से बेहद आत्मीयता के साथ मिलीं।


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