जगत में मनुष्य को अन्य जीवों से पृथक करता है धर्म : नारायणी
बगहा। धर्म ही एक मात्र ऐसा साधन है जो सबसे पहले मनुष्य को जगत के अन्य जीवों से पृथक करता है।
बगहा। धर्म ही एक मात्र ऐसा साधन है जो सबसे पहले मनुष्य को जगत के अन्य जीवों से पृथक करता है। एसपी आवास के ठीक बगल में अवस्थित श्री हनुमान मंदिर परिसर में चल रहे श्री रुद्र महायज्ञ के दौरान भक्त-श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उपरोक्त बातें प्रवचन कर रहीं सुश्री नारायणी तिवारी ने कही। शिव विवाह प्रसंग की चर्चा करते हुए गुरुवार की संध्या पहर उन्होंने कहा कि ऐसी बारात न तो जगत में इससे पहले किसी की निकली थी और ना ही आजतक दोबारा निकली। पिचाश, भूत, गण समेत चराचर के सभी देवी-देवता बाराती बने थे। कहा कि माता सती को ही पार्वती, दुर्गा, काली, गौरी, उमा, जगदम्बा, गिरीजा, अम्बे, शेरांवाली, शैलपुत्री, पहाड़ावाली, चामुंडा, तुलजा, अंबिका आदि नामों से जाना जाता है। इनकी कहानी बहुत ही रहस्यमय है। यह किसी एक जन्म की कहानी नहीं, कई जन्मों और कई रूपों की कहानी है। सुश्री तिवारी ने श्री राम कथा वाचन के दौरान शिव विवाह के प्रेरक प्रसंगों का सुंदर चित्रण किया। दूसरी ओर प्रवचन कार्यक्रम के दौरान इस आयोजन के लिए निस्वार्थ भाव से 1.21 लाख रुपये का सहयोग करने वाले गोलू मिश्रा को अंगवस्त्र ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि धर्म से जुड़े कार्यों में वे आगे भी सक्रिय रहेंगे। विद्या सिंह, सुरेन्द्र सिंह, हरि प्रसाद, जयेंद्र सिंह, अभय सिंह एवं अन्य व्यवसायिक लोगों ने भी आयोजन में दान दिया। शुक्रवार की दोपहर यज्ञस्थल पर पहुंचे राज्यसभा सदस्य सतीशचंद्र दूबे ने इस आयोजन के लिए आयोजन मंडल के मुख्य यजमान अरविद कुमार सिंह, मठाधीश चंद्रिका गिरि, तेजनाथ त्यागी बाबा, फलाहारी बाबा, रूदल राय, अरविद कुमार सिंह, कृष्णमोहन पाठक, प्रो. अजिताभ कुमार उर्फ राजू सिंह, एनपी शाही आदि को धन्यवाद दिया। यज्ञस्थल पर प्रो. अजिताभ कुमार ने अंगवस्त्र ओढ़ाकर रास सदस्य श्री दूबे का स्वागत किया। बता दें कि जगत कल्याण के उद्देश्य से आयोजित इस महायज्ञ का समापन 11 अप्रैल को होगा।