चारपाई और बैलगाड़ी पर दम तोड़ रही जिदगी
बड़े शहरों से शुरू होकर अब कस्बों में तेजी से फैल रहा कोरोना संक्रमण सरकार की चुनौती बढ़ा रहा। गांवों की स्थिति फिलहाल नियंत्रित तो है लेकिन जिस तरह कस्बों में नये मामले सामने आ रहे। गांवों की स्थिति भी चिताजनक हो सकती है।
बगहा । बड़े शहरों से शुरू होकर अब कस्बों में तेजी से फैल रहा कोरोना संक्रमण सरकार की चुनौती बढ़ा रहा। गांवों की स्थिति फिलहाल नियंत्रित तो है, लेकिन जिस तरह कस्बों में नये मामले सामने आ रहे। गांवों की स्थिति भी चिताजनक हो सकती है। विशेषज्ञ गांवों में एहतियाती कदम उठाने पर जोर दे रहे हैं।
मार्च में लॉकडाउन के बाद से ही कोरोना संक्रमण से बचने के लिए किए गए प्रचार-प्रसार का गांवों में व्यापक असर देखने को मिला है। तमाम स्थानों पर ग्रामीणों ने खुद ही कमान संभाली और बाहरी लोगों के गांवों में प्रवेश को लेकर सजग हुए। इस एहतियात के बावजूद संक्रमण बढ़ता ही जा रहा। इस परिस्थिति में ग्रामीण अंचल के स्वास्थ्य ढ़ाचे की संवीक्षा शुरू कर दी गई है। ताकि गांवों में संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सके। साथ ही संक्रमितों को उत्तम स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें।
ताजा स्थिति संतोषजनक नहीं है। सात प्रखंडों का प्रतिनिधित्व करने वाले बगहा अनुमंडल में बुनियादी स्वास्थ्य ढांचा वर्षों से धाराशायी है। कर्मियों-चिकित्सकों की कमी के कारण बड़ी आबादी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है। अनुमंडलीय अस्पताल में चिकित्सकों के दो दर्जन से अधिक पद रिक्त हैं। स्वास्थ्य केंद्रों, अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों व उप स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति बदहाल है। आलम यह है कि गांव में यदि कोई बीमार पड़ गया तो फिर उसे चारपाई, बैलगाड़ी और नाव पर लादकर अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। कई बार अव्यवस्था का दंश जीवन को लील लेता। वजह आवागमन की सुविधा का टोटा है, साथ ही बाढ़-बरसात ने रास्ता रोक रखा है। ऐसे में गांवों में कोरोना का संक्रमण प्रसारित हुआ तो फिर बड़ी आबादी की जान पर बन आएगी।
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वर्तमान व्यवस्था पर एक नजर :-
स्वास्थ्य केंद्र : हरनाटांड स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सकों की पदस्थापना है। इन्हीं चिकित्सकों में से कुछ शहरी स्वास्थ्य केंद्र में भी ड्यूटी बजाते हैं। करीब छह महीने पूर्व शहरी पीएचसी में चिकित्सक-कर्मियों की पदस्थापना की घोषणा की गई, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ। बगहा एक पीएचसी में एक मात्र पीएचसी प्रभारी की नियुक्ति है। जो सिर्फ टीकाकरण की समीक्षा करते हैं। फिलहाल, वे अनुमंडलीय अस्पताल के डीएस पद के प्रभार में हैं। पिपरासी, दहवा, ठकाहां, रामनगर और भितहां पीएचसी में भी चिकित्सक व कर्मूयिों की कमी के कारण भगवान भरोसे काम चल रहा। गंडक पार के चारों प्रखंडों के कई चिकित्सक तो सीमावर्ती उत्तर प्रदेश में रहते हैं।
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अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र : बगहा दो में कुल सात अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें वाल्मीकिनगर, लौकरिया, बेलहवा, नौतनवा, सेमरा, चिउटाहां, बिनवलिया एपीएचसी शामिल हैं। बेलहवा को छोड़कर अन्य सभी एपीएचसी में एक-एक चिकित्सक की पदस्थापना की गई है। भ्रमणशील चिकित्सकों का दल भी कभी-कभार यहां सेवा उपलब्ध कराता है। इसके अतिरिक्त बगहा दो में कुल 43 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं। जहां सिर्फ एएनएम टीकाकरण के लिए जाती हैं।
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होम आइसोलेट किए जा रहे मरीज :-
कोरोना संक्रमण की जांच की व्यवस्था अब पीएचसी में ही कर दी गई है। किट के माध्यम से संदिग्धों की जांच की जा रही। जिन संदिग्धों की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, उन्हें होम आइसोलेट कर दिया जाता। लक्षण गंभीर होने पर अनुमंडलीय अस्पताल या जिला अस्पताल रेफर किया जाता। होम आइसोलेट किए जाने वाले मरीजों को सरकार द्वारा उपलब्ध मेडिसिन किट दिया जाता। चिकित्सक नियमित रूप से फोन कर उनका हाल जानते। बगहा दो में तीन एंबुलेंस आपातकाल के लिए तैनात हैं। जो संक्रमितों को अस्पताल पहुंचाने के लिए उपयोग में लाई जातीं। चिकित्सकों के नेतृत्व में गठित टीमें गांवों में भ्रमणशील होकर लोगों को जागरूक कर रही हैं।
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डोर-टू-डोर दवा पहुंचाने की व्यवस्था :
ग्रामीण अंचल में कोरोना से निपटने क लिए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। एएनएम, स्वास्थ्य कर्मी समेत आंगनबाड़ी सेविका व आशा को डोर-टू-डोर दवा पहुंचाने की जवाबदेही सौंपी गई है। यदि कोई ग्रामीण संक्रमित पाया जाता तो उसे घर पर ही आइसोलेट करते हुए उसकी मेडिसिन किट घर पहुंचाई जाएगी। चिकित्सक स्वास्थ्य संबंधी खैरियत पूछते रहेंगे।
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बयान :-
पीएचसी में कोरोना जांच की व्यवस्था की गई है। चिकित्सक-कर्मियों की कमी के बावजूद बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास जारी है।
डॉ. राजेश सिंह नीरज, चिकित्सा पदाधिकारी, बगहा दो