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मजदूरों को काम देने के साथ पईन का वजूद लौटाने की हुई पहल

बेतिया। नरकटियागंज प्रखंड अंतर्गत सेरहवा डकहवा से मुरली खरकटवा तक ध्वस्त हो चुके पईन क

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 11:32 PM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 11:32 PM (IST)
मजदूरों को काम देने के साथ पईन का वजूद लौटाने की हुई पहल
मजदूरों को काम देने के साथ पईन का वजूद लौटाने की हुई पहल

बेतिया। नरकटियागंज प्रखंड अंतर्गत सेरहवा डकहवा से मुरली खरकटवा तक ध्वस्त हो चुके पईन को लेकर किसानों में उम्मीद जगी है। मनरेगा द्वारा इस पईन के सेरहवा पंचायत अंतर्गत हिस्से का जीर्णोद्धार किया गया है। वैश्विक आपदा में मजदूरों को काम देने की दिशा में विभाग ने यह पहल की है। इस कार्य के साथ ही करीब डेढ़ से दो किलोमीटर पईन की सफाई के प्रति किसानों में उम्मीद बढ़ गई है। विभाग भी मजदूरों को रोजगार के साथ क्षेत्र के किसानों को सिचाई का लाभ दिलाने की दिशा में प्रयास कर रहा हैं। बता दें कि करीब दो किलोमीटर लंबी यह पईन तीन पंचायत क्षेत्र में है, जिसमें एक भाग सरहवा पंचायत का है। जिसकी सफाई करा दी गई। इसके बाद खरकटवा का हिस्सा डुमरिया पंचायत के अधीन है, जबकि मुरली का हिस्सा सुगौली पंचायत के अंतर्गत आता है। ऐसे में क्षेत्र के किसान भी पंचायत चुनाव को देखते हुए पंचायत प्रतिनिधियों की इसमें भूमिका पर नजर रखे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि करीब दो दशक पूर्व सड़क निर्माण के साथ पईन को नष्ट कर दिया गया। उसके बाद से सिचाई के लिए किसानों की तबाही शुरू हो गई। किसानों द्वारा तीन वर्ष पूर्व जेसीबी लगाकर पईन के जीर्णोद्धार का प्रयास किया गया था। मगर वह कार्य भी पूरा नहीं हुआ। इस तरह दो दशक से खेतों को पानी मिलना बंद हो गया। किसान आनंद किशोर तिवारी, महेंद्र यादव, घनश्याम तिवारी का कहना है कि जनप्रतिनिधियों ने अब तक इस दिशा में कुछ भी नहीं किया। गन्ना, रबी और खरीफ फसलें प्रभावित होती रही हैं। गर्मी में बावड़ नदी सूख जाती है। ऐसे में विभागीय प्रयास पर क्षेत्र के किसानों की उम्मीद बंधी हुई है। पर्याप्त पानी के बिना तरसते रहे ऊपजाऊं खेत

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उपजाऊ मिट्टी, भरपूर सिचाई और मेहनतकस किसानों के बदौलत कभी क्षेत्र की मिट्टी सोना उगलती थी। शेरहवा उप वितरणी से निकलकर यह पईन सेरहवा, डकहवा, मुरली, खरकटवा, पीपरा, मुजौना और अजुआ सरेह तक सिचाई करती थी। लेकिन सड़क निर्माण के साथ इसके वजूद को खत्म कर दिया गया। उसके बाद क्षेत्र की खेती किसानी पिछड़ने लगी। सिचाई के लिए किसानों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उत्पादन लागत बढ़ने के साथ नियमित पानी नहीं मिलने से उपज भी काफी प्रभावित हुआ है। पईन की सफाई के लिए प्रयास किया जा रहा है ताकि मजदूरों को रोजगार के साथ-साथ किसानों को सिचाई के लिए पानी मिल सके। बचे हुए कार्य को जल्द पूरा कराने का प्रयास हो रहा है।

शशि शेखर ठाकुर

कार्यक्रम पदाधिकारी


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