कोरोना के मामले कम होते ही परदेस रवाना होने लगे प्रवासी
बगहा। सरकार के सभी दावे खोखले साबित हो रहे। रोजगार की बात तो दूर दो वक्त की रोटी की व्य
बगहा। सरकार के सभी दावे खोखले साबित हो रहे। रोजगार की बात तो दूर दो वक्त की रोटी की व्यवस्था कर पाना भी गरीबों के लिए चुनौतीपूर्ण है। मनरेगा समेत अन्य योजनाओं से रोजगार देने के खोखले दावों के बीच एक बार फिर से प्रवासी दूसरे प्रदेश जाने लगे हैं।
कोरोना के दौर में बीते तीन महीने में मनरेगा से लगभग रामनगर प्रखंड के 27 सौ मजदूरों को ही काम दिया गया। जिस आंकड़े से यह स्पष्ट हो गया है कि बाहर से घर लौटे मजदूरों की हालत कैसी होगी। बाकी के मजदूरों को काम नहीं मिलने से दर दर की ठोकर खानी पड़ी। ऐसे विषम हालात में किसी तरह अपना गुजारा करना पड़ा । लेकिन, इस महामारी में सभी लोग डरे थे। इससे रोजाना काम नहीं मिल पाता था। इस वजह से उनको परिवार को छोड़ दूसरे राज्य जाने का फैसला लिया।
गुदगुदी स्थित पेट्रोल पंप के समीप खड़ी बस में मौजूद स्थानीय मिश्री मांझी, रामभजु मांझी, प्रवेश चौधरी ने बताया कि हमारे गांव में रोजाना काम नहीं मिल पाता है। नतीजा दो समय का भोजन जुटाना मुश्किल हो गया है। बच्चे जब भूख से तड़पते हैं तो मजबूरन बाहर जाकर काम ढूंढने का मन बनाना पड़ा। रोजगार के लिए पंजाब के चंडीगढ़ बातचीत हुई। वे वहां से जरूरत के हिसाब बस भेज दिए। जिस एक बस में तकरीबन सौ की संख्या में दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर जाते हैं। इसमें आसपास के चार पांच गांवों के लोग शामिल रहते हैं। अन्य मजदूरी करने वाले लोग भी पलायन करने के मूड में है। इसको लेकर हरिनगर स्टेशन पर रिजर्वेशन कराने की इन मजदूरों की भीड़ उमड़ रही है। इसके साथ ही ये टैक्सी या ट्रेन से गोरखपुर चले जाते हैं। वहां से फिर ट्रेन या बस पकड़कर दूसरे राज्यों का रुख कर रहे।
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बयान
बीते तीन माह में रामनगर प्रखंड के सभी पंचायतों में 2729 मजदूरों को मनरेगा योजना के तहत काम दिया जा चुका है। पौधरोपण कार्यक्रम जल्द शुरू होगा। उसमें भी अधिक से अधिक लोगों को रोजगार का अवसर मिले कोशिश की जाएगी।
रघुनाथ प्रसाद, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी, रामनगर