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बिनवलिया की टेंशन, न खेत को पानी न वृद्ध को पेंशन

बेतिया। सरकार गांवों के विकास के लिए कई योजनाएं चला रही है। गांव में हर घर को बिजली, शुद्ध पेयजल के

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 May 2018 12:50 AM (IST)Updated: Fri, 04 May 2018 12:50 AM (IST)
बिनवलिया की टेंशन, न खेत को पानी न वृद्ध को पेंशन
बिनवलिया की टेंशन, न खेत को पानी न वृद्ध को पेंशन

बेतिया। सरकार गांवों के विकास के लिए कई योजनाएं चला रही है। गांव में हर घर को बिजली, शुद्ध पेयजल के अलावा ग्रामीणों को सामाजिक विकास का लाभ मिले इसके लिए वह संकल्पित है। मगर विकास की बात हो तो धरातल पर कुछ और ही देखने को मिलता है। नरकटियागंज प्रखंड क्षेत्र की बिनवलिया पंचायत मुख्यालय गांव में गुरुवार को ग्रामीणों संग बैठक के दौरान विकास के मुद्दे पर कई चर्चा जोरों पर रही। वार्ड 04 स्थित ब्रह्मस्थान पर आयोजित बैठक में उपस्थित सभी लोगों ने एक स्वर से कहा-बाबू यहां सड़कों पर पानी देखने को मिल जाता है मगर खेतों में पानी नहीं मिलता और नहीं ही वृद्धों को पेंशन। पंचायत मुख्यालय गांव में अबतक सामुदायिक भवन नहीं है। यहां के युवा भी बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। ग्रामीण गोरख साह, शंभू साह, बेजारूल मियां, अवधेश साह, जमील मियां, विरेंद्र साह, उमेश मुखिया, अमरेश शर्मा आदि का कहना है कि गांव में पिछले कई दशक से न तो सामुदायिक भवन है और न ही पंचायत भवन का निर्माण हो सका है। यहां तक कि रात होते ही गलियों में अंधेरा छा जाता है। गांव में कहने को तो बिजली घर घर लगा दी गई है लेकिन सड़क रात को वीरान ही रहते हैं। इतना ही नहीं पानी निकासी के लिए यहां समुचित नाला तक नहीं है। बरसात के दिनों की बात कौन कहें अन्य मौसम में भी नाली का पानी सड़कों पर ही बहता है। गांव में अब भी उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं है। इसको लेकर सबसे अधिक परेशानी बच्चियों को उठानी पड़ रही है।

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वृद्धों की व्यथा

गांव के 84 वर्षीय वृद्ध विक्रमा गिरी का कहना है कि विकास को दूर की बात है, मुझे अब तक पेंशन का लाभ तक नहीं मिल सका है। जबसे वृद्ध की श्रेणी में पहुंचा, तबसे सूची में नाम ही शामिल नहीं रहा। अब जब शामिल हुआ भी है तो पिछले छह माह से पेंशन का भुगतान नहीं हुआ है।

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वृद्ध इसराफिल मियां कहते हैं कि गांव की खुशहाली किसानों पर निर्भर होती है। यहां गांव में ¨सचाई तक का साधन नहीं है। पईन को कतिपय लोगों द्वारा अतिक्रमण किया गया है तो बो¨रग की सुविधा भी नदारद है। ऐसे में खेती किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। जिसका अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई।

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गांव की आबादी एक नजर में

बिनवलिया गांव की आबादी करीब 6 हजार है। इसमें दलितों की आबादी लगभग 17 प्रतिशत है। वहीं यहां के तीस प्रतिशत युवा बेरोजगार बैठे हैं। जबकि गांव में 60 प्रतिशत शैक्षणिक दर है। हालांकि यह आंकड़ा मुखिया द्वारा किए गए सर्वे के आधार पर है। गांव में सरकारी कर्मी कुल दस हैं। कहते हैं गांव के ग्रेजुएट बेरोजगार युवा

गांव के ग्रेजुएट युवा मो. कैफ का कहना है कि सपनों के गांव की आस हर कोई करता है कि उसका गांव सभी सुविधाओं से लैस हो। बच्चा बच्चा शिक्षित होकर समाज में योगदान करे। लेकिन पिछले दो वर्ष से ग्रेजुएट होने के बाद भी बेरोजगार बैठा हूं। वेकेंसी में कटौती और आरक्षण की पेंच में फंसकर पिस गया हूं। लेकिन युवाओं में बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकार ठोस कदम नहीं उठा रही।

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युवा भारत भूषण गुप्ता का कहना है कि पिछले पांच वर्षो से ग्रेजुएट होने के बाद भी अब तक रोजगार नहीं मिल सका। युवाओं का भविष्य उनके शिक्षा दीक्षा पर निर्भर होता है। लेकिन ग्रेजुएट होने के बाद भी रोजगार का अब तक कोई आधार नहीं मिल सका है। मजबूरन घर छोड़कर अन्य प्रदेश में रोजगार ढूंढ़ने की विवशता बनी रहती है।

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मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत गांव में सड़क, पानी और नाली का निर्माण कार्य तेजी से कराया जा रहा है। सामुदायिक और पंचायत भवन के निर्माण को ले अंचल से भूमि उपलब्ध कराने की मांग रखी गई है। गांव में विकास की गति को बढ़ाया जा रहा है। जल्द ही यहां सभी सुविधाएं होंगी।

मीरा ¨सह

मुखिया

बिनवलिया पंचायत

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