जीएमसीएच के सी ब्लॉक में मिली इलाज की सभी सुविधाएं
बेतिया । स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में वर्ष 2021 जिले के महत्वपूर्ण रहा।

बेतिया । स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में वर्ष 2021 जिले के महत्वपूर्ण रहा। इस वर्ष जून माह में राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में एक महत्वपूर्ण काम हुआ। निर्माण एजेंसी की ओर से काम में थोड़ा विलंब को देखते हुए जिला प्रशासन की पहल पर परिसर में ही सी ब्लॉक को पूर्ण रूप से फंक्शनल कर दिया गया। इस ब्लॉक में सर्जरी, आर्थो, शिशु, आई. एवं ई.एन.टी के मरीजों के लिए चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई गई। वहीं प्रथम तल पर कोविड के मरीजों के इलाज की सुविधा बहाल कर बड़ी संख्या में इस मरीजों का इलाज कराया गया। द्वितीय तल का 'ए' ब्लॉक पुरूष औषधि वार्ड एवं 'बी' ब्लॉक महिला औषधि वार्ड के रूप में सामान्य मरीजों के लिए उपलब्ध कराई गई। जबकि तृतीय तल का 'ए' और 'बी' ब्लॉक स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के लिए संचालित कर दिया गया। इसी तल का 'सी' ब्लॉक कोरोना के तीसरे लहर के संभावना को देखते हुए शिशु रोग विभाग के लिए फंक्शनल कराया गया। ताकि तीसरे लहर में संक्रमित शिशुओं का इलाज कराया जा सके। तृतीय तल का 'डी' ब्लॉक में आई. एवं ई.एन.टी विभाग के लिए तथा मयूकोरमाईकोसिस से ग्रसित मरीजों के इलाज की सुविधा मुहैया कराई गई है।
जबकि चतुर्थ तल के 'सी' एवं 'डी' ब्लॉक को एईएस,जेई के संभावित शिशुओं के लिए 30 शय्याओं को पीकू के रूप में तथा 06 शय्याओं को एनआईसीयू के रूप में संचालित किया गया है। ताकि ऐसे मरीजों का इलाज यहां बेहतर ढंग से किया जा सके। पांचवे तल के 'सी' ब्लॉक को महिला सर्जरी एवं डी ब्लॉक को पुरूष सर्जरी एवं 'ए' ब्लॉक को अस्थि एवं बी ब्लॉक को बर्न रोग के मरीजों के लिए संचालित कराने के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर उपलब्धि हासिल की गई।
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स्वस्थ्य समाज
30 हजार से अधिक जरूरमंदों को आंख की रोशनी दिला चुके हैं अवकाश प्राप्त रेलकर्मी शत्रुघ्न झा
-----विश्व मानव सेवा आश्रम परिसर में करा रहे दो करोड़ की लागत से नेत्र अस्पताल का निर्माण
जासं, नरकटियागंज: स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी सेवा भाव का अनुठा उदाहरण प्रस्तुत करते हुए नरकटियागंज के शत्रुघ्न झा अब तक 30 हजार से अधिक जरूरतमंदों को आंख की रोशनी उपलब्ध करा चुके हैं। जब उनमें पीड़ित मानवता की सेवा को लेकर प्रेरणा जगी, तो रेलवे के स्टेशन मास्टर के पद से स्वैच्छिक रूप से अवकाश प्राप्त किया। एक दशक पहले जब रेलवे की सेवा छोड़ी, तो पूर्ण रूप से जरूरतमंदों की सेवा में लग गए। प्रत्येक वर्ष मोतियाबंद का ऑपरेशन कराना एवं पीड़ित मानवता की सेवा करना उनका पूर्णकालीन काम हो गया। इस बड़े अभियान के लिए सहयोग की जरूरत हुई। उन्होंने गुजरात के भंसाली ट्रस्ट से संपर्क किया। उसके नेत्र विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम हर वर्ष यहां पहुंची। आश्रम के संस्थापक शत्रुघन झा ने जिला के पिछड़े क्षेत्रों में मोतियाबिद के मरीजों की जांच पड़ताल शुरू कराई। चिह्नित मरीजों को हर वर्ष नरकटियागंज में लगने वाले कैंप में बुलाकर ऑपरेशन कराया। उन्हें खाने-पीने से लेकर मुफ्त ऑपरेशन, चश्मा और दवा दारू की व्यवस्था हुई। हालाकि कोरोना आपदा से कैंप का अभियान प्रभावित हुआ। तब श्री झा ने उस संस्था से समन्वय बना कर आपदा को अवसर में बदलने का प्रयास शुरू किया। स्थाई रूप से कैंप संचालित हो इसके, इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य संसाधनों की जरूरत को पूरा कराना शुरू किया। भंसाली ट्रस्ट के सहयोग से विश्व मानव सेवा आश्रम परिसर में नेत्र अस्पताल का कार्य आरंभ कराया है। जरूरतमंदों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके, इसके लिए 2 करो़ड़ की लागत से अस्पताल का निर्माण कराना शुरू कर दिया है। इसके निर्माण में अब तक 20 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं। उनका विश्व मानव सेवा आश्रम जरुरूमंदों की सेवा कर रहा हैं। शत्रुघ्न झा बताते हैं कि गरीब, असहाय और जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना उनकी पहली प्राथमिकता है। गांधी और विनोबा भावे के आदर्श पर चलते हुए समाज के अंतिम जन की स्वास्थ्य सेवा में लगे हुए हैं।
Edited By Jagran