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वीटीआर में वन्य जीव सुरक्षा को लेकर अलर्ट, हाथी से गश्त

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में वन्यजीव सुरक्षा के मद्देनजर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। मानसून सीजन में वन्यजीवों के अवैध शिकार की आशंका के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। वनकर्मियों को 24 घंटे अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 12:30 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 06:15 AM (IST)
वीटीआर में वन्य जीव सुरक्षा को लेकर अलर्ट, हाथी से  गश्त
वीटीआर में वन्य जीव सुरक्षा को लेकर अलर्ट, हाथी से गश्त

बगहा । वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में वन्यजीव सुरक्षा के मद्देनजर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। मानसून सीजन में वन्यजीवों के अवैध शिकार की आशंका के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। वनकर्मियों को 24 घंटे अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही नियमित गश्त के साथ ही लंबी दूरी की गश्त भी प्रारंभ कर दी गई है। इसके अलावा रिजर्व से लगी नेपाल एवं उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी गई है। मानसून सीजन के दौरान संरक्षित क्षेत्रों में अवैध शिकार की संभावना अधिक बढ़ जाती है। बरसात के मौसम में शिकारी जंगलों में घुसकर अपनी कारगुजारियों को अंजाम देते हैं। इसके मद्देनजर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में अब हाईअलर्ट जारी किया गया है।

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इस बाबत वीटीआर के सीएफ हेमकांत राय ने बताया कि बरसात को देखते हुए वीटीआर में वन्यजीव सुरक्षा के मद्देनजर सभी कर्मियों को 24 घंटे अलर्ट मोड पर रखा गया है। नियमित गश्त जारी है, साथ ही लंबी दूरी की गश्त भी प्रारंभ कर दी गई हैं। टाइगर रिजर्व से लगी उत्तर प्रदेश एवं नेपाल की सीमा पर विशेष चौकसी बरती जा रही है। वन्यजीव सुरक्षा के लिहाज से मानसून सीजन को बेहद संवेदनशील माना जाता है। वजह ये कि वन क्षेत्रों में इस दरम्यान पौधारोपण को छोड़कर सभी तरह की गतिविधियां बंद रहती हैं। इसी का फायदा वन्यजीव तस्कर और शिकारी उठाते आए हैं। मानसून सीजन में ही वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं बढ़ जाती हैं। वैसे भी वीटीआर वन्यजीव शिकारियों व तस्करों के निशाने पर हैं। इस लिहाज से देखें तो वीटीआर की उत्तर प्रदेश एवं नेपाल से लगी सीमा बेहद संवेदनशील है। पूर्व में कई बार उत्तर प्रदेश एवं नेपाल के सीमांत क्षेत्र से ही शिकारियों की वीटीआर के जंगलों में घुसपैठ की घटनाएं हुई हैं। इसे देखते हुए वीटीआर से लगी सीमा पर चौकसी के मद्देनजर खास फोकस किया गया है। वनों में की जा रही पैदल गश्त के अलावा हाथी से नदी नालों व घने वनों में विशेष गश्त की जा रही है ।


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