बाघिन की मौत के बाद भूख से तड़पकर शावक की मौत, मिला सड़ा- गला शव
वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के मंगुराहा वनक्षेत्र के मानपुर जंगल में एस- 69 कंपार्टमेंट में शुक्रवार की सुबह में बाघ के शवक (06 माह) का सड़ा- गला शव झाड़ी में मिला। शव मिलने की सूचना पर हड़कंप मच गई। वीटीआर के क्षेत्र निदेशक हेमकांत राय के नेतृत्व में वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मी पहुंचे।
बेतिया । वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के मंगुराहा वनक्षेत्र के मानपुर जंगल में एस- 69 कंपार्टमेंट में शुक्रवार की सुबह में बाघ के शवक (06 माह) का सड़ा- गला शव झाड़ी में मिला। शव मिलने की सूचना पर हड़कंप मच गई। वीटीआर के क्षेत्र निदेशक हेमकांत राय के नेतृत्व में वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मी पहुंचे। झाड़ी से शव निकालकर अंतिम संस्कार कर दिया गया। वीटीआर के क्षेत्र निदेशक ने बताया कि कि शावक की मां की मौत मनापुर के मानसरोबर के समीप बीते 11 दिसंबर 2021 को हो गई थी। उसी वक्त कैमरे में शावक दिखा था। शावक की निगरानी के लिए वनकर्मियों की टीम लगाई गई थी। चूंकि मां की मौत के बाद शावक की सुरक्षा एवं उसके भोजन का प्रबंधन करने को लेकर वीटीआर प्रशासन गंभीर था। शावक के भोजन के लिए मुर्गा एवं बकरी रखा गया था। लेकिन, शावक को शिकार का प्रशिक्षण नहीं था। इस वजह से वह मुर्गा व बकरी को नहीं खाया। उसके संरक्षण के लिए तीन अलग- अलग पिजरे भी लगाए गए थे। ताकि उसे रेस्क्यू कर पटना जैविक उद्यान में पालन- पोषण के लिए भेजा जा सके। इधर, चार - पांच दिनों से कैमरे में शावक का कोई लोकेशन नहीं दिख रहा था। इसको लेकर वनकर्मियों की टीम को अलर्ट किया था। उन्होंने बताया कि बाघ के शावक को एक वर्ष तक उसकी मां हीं भोजन कराती है और शिकार का प्रशिक्षण भी देती है। सो, इस शावक की मां की मौत हो जाने के कारण वह शिकार नहीं कर पाया और भूख से उसकी मौत हो गई।
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पांच जनवरी को वाल्मीकिनगर जंगल में मिला था बाघ के शावक का शव
बीते पांच जनवरी की शाम वीटीआर के वन प्रमंडल दो के वाल्मीकिनगर वनक्षेत्र के कक्ष संख्या टी वन हाथीशाला के पास कालेश्वर जंगल में बाघ के शावक का शव मिला था। शावक आठ माह का था। बाघों के संघर्ष में शावक की मौत की संभावना अधिकारियों ने व्यक्त की थी।
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