ऑपरेशन के बाद किराये के बेड पर मरीज, व्यवस्था बदहाल
बगहा। सरकार ने बगहा के रेफलर अस्पताल को अपग्रेड करते हुए 1980 में अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा दिया। इसके नाम पर केवल एक ओपीडी भवन का निर्माण किया गया।
बगहा। सरकार ने बगहा के रेफलर अस्पताल को अपग्रेड करते हुए 1980 में अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा दिया। इसके नाम पर केवल एक ओपीडी भवन का निर्माण किया गया। इसके अलावा अन्य कोई भी सुविधा अस्पताल को इतने दशक के बाद भी उपलब्ध नहीं हो पाई है। इसका ताजा प्रमाण सोमवार को दिखा। जब अस्पताल में बेड की कमी के कारण बंध्याकरण के बाद मरीज परेशान हो गए। अस्पताल प्रबंधन द्वारा किराये पर बेड लेकर सभी को उपलब्ध कराया गया। इतना ही नहीं अस्पताल में जगह की कमी के कारण लोग पीएचसी में भी बेड लगाने को मजबूर दिखाई दिए। इतना ही अस्पताल में एक अदद सर्जन नहीं है। ऐसे में यहां मरीजों को रेफर करने की मजबूरी बनी हुई है। बताते चलें कि अस्पताल में 100 बेड की मान्यता है। दो दर्जन चिकित्सक के पद भी सृजित हैं। बावजूद इसके मात्र 30 बेड और 5 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। एक दंत चिकित्सक संतोष राम हैं। वे कब आते व कब जाते हैं किसी को पता ही नहीं चलता है। अस्पताल में संसाधनों, चिकित्सक, कर्मियों की कमी के कारण नगर सहित क्षेत्र के लोग कहते हैं कि इस अस्पताल को मान्यता तो मिली, लेकिन सुविधा नहीं।
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बयान :
बेड की कमी है। बंध्याकरण के दिन किराए पर बेड लेकर मरीजों को उपलब्ध कराया जाता है। चिकित्सक और कर्मियों की कमी को लेकर सिविल सर्जन सहित विभाग को बराबर लिखित सूचना दी जा रही है।
डा.एस.पी.अग्रवाल, उपाधीक्षक अनुमंडलीय अस्पताल बगहा