हाई था महिलाओं का जोश, फीकी पड़ गयी तीखी धूप भी
लोकतंत्र के इस महापर्व में महिलाओं के जोश के आगे तीखी धूप भी फीकी पड़ गयी। सोमवार की सुबह जब भगवान भास्कर की रश्मियां लोकतंत्र इस आदिभूमि को चूमीं तो उस समय मौसम काफी सुहावना था लेकिन जैसे-जैसे मतदान शुरू होने का समय नजदीक आता गया सूर्य की किरणों ने अपनी प्रखरता का अहसास कराना शुरू कर दिया और आठ बजते-बजते धूप इस कदर तीखी हो गयी कि शरीर झुलसने लगा। पर बूथों पर पहुंच चुके मतदाताओं खासकर महिलाओं का जोश हाई था।
शैलेश कुमार, हाजीपुर :
लोकतंत्र के इस महापर्व में महिलाओं के जोश के आगे तीखी धूप भी फीकी पड़ गयी। सोमवार की सुबह जब भगवान भास्कर की रश्मियां लोकतंत्र इस आदिभूमि को चूमीं तो उस समय मौसम काफी सुहावना था लेकिन जैसे-जैसे मतदान शुरू होने का समय नजदीक आता गया, सूर्य की किरणों ने अपनी प्रखरता का अहसास कराना शुरू कर दिया और आठ बजते-बजते धूप इस कदर तीखी हो गयी कि शरीर झुलसने लगा। पर बूथों पर पहुंच चुके मतदाताओं खासकर महिलाओं का जोश हाई था। हाजीपुर से लालगंज की दूरी 20 किलोमीटर और लालगंज तीनपुलवा चौक से एतवारपुर गांव करीब करीब तीन किलोमीटर। हाजीपुर से वैशाली तक बने बुद्ध सर्किट के इस महत्वपूर्ण रोड पर लालगंज तक सड़क के किनारे कई मतदान केन्द्र बनाए गए थे। चंद्रालय, अस्तीपुर, मीनापुर राई , मनुआ, इस्माइलपुर, हरौली, चांदी, धनुषी, घटारो, पोझियां, लालगंज, जलालपुर, एतवारपुर आदि गांवों में बने बूथों पर महिलाओं की लंबी-लंबी कतारें लगी थीं। मतदाता जागरूकता का यह नारा काम कर रहा था- पहले मतदान तब जलपान। चूल्हा-चौके की फिक्र को दरकिनार कर महिलाएं बूथों पर कतारबद्ध अपनी बारी का इंतजार कर रही थीं। बूथों पर गजब की शांति। अधिकतर बूथों पर स्काउट गाइड के कैडेट बूढ़े और दिव्यांग मतदाताओं की सहायता के लिए तत्पर थे। उनका जोश भी देखते बन रहा था। उत्क्रमित मध्य विद्यालय हरौली इस्माइलपुर के बूथ नंबर 22 और 23 पर 10 कैडेट सुबह साढ़े नौ बजे तक 25 वृद्धों और दिव्यांगों को मतदान कराने में सहायता पहुंचा चुके थे। कैडेट विशाल कुमार, रोहन सोनी, मोहित कुमार पांडेय, समीर, राकेश कुमार सहनी, अंकित कुमार, काजल, खुशबू, सोनी कुमारी, जीया कुमारी आदि ने जागरण को बताया कि प्रशासन ने उनके लिए नाश्ते की अच्छी व्यवस्था की है। कोई परेशानी नहीं है।
इस महत्वपूर्ण सड़क पर एक तरह से सन्नाटा पसरा था। कभी- कभी प्रशासन की गाड़ियां सन्नाटे को चीरती निकल जाती थीं। सड़क पर पुरुषों की आमदरफ्त कम ही दिखाई दी। हां, जगह-जगह चार-छह की संख्या में महिलाएं तीखी धूप की परवाह किए या तो मतदान के लिए जाते दिखीं या फिर मतदान कर बूथों से अपने घर की ओर।
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