वैशाली से एनडीए प्रत्शाशी वीणा ने हाजीपुर कोर्ट में किया सरेंडर, मिली जमानत
वैशाली से एनडीए की प्रत्याशी वीणा देवी ने शुक्रवार को हाजीपुर एसीजेएम के कोर्ट में सरेंडर कर दिया। करीब 14 वर्ष पुराने मामले में कोर्ट ने उन्हें 10-10 हजार के दो मुचलके पर जमानत दे दी।
जागरण संवाददाता, हाजीपुर :
वैशाली से एनडीए की प्रत्याशी वीणा देवी ने शुक्रवार को हाजीपुर एसीजेएम के कोर्ट में सरेंडर कर दिया। करीब 14 वर्ष पुराने मामले में कोर्ट ने उन्हें 10-10 हजार के दो मुचलके पर जमानत दे दी। वर्ष 2005 में लालगंज थाने में उनके विरुद्ध एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। हालांकि वीणा का कहना था कि उन्हें मुकदमे के संबंध में कोई जानकारी नहीं थी। जैसे ही जानकारी मिली उन्होंने कोर्ट में स्वयं उपस्थित होकर जमानत की अर्जी दाखिल की। कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है। उन्हें कोर्ट पर पूरी आस्था है। गौरतलब हो कि इस मामले को वैशाली के निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष नामांकन पत्रों की संवीक्षा के दौरान उठाते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वैशाली से महागठबंधन के प्रत्याशी डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह के प्रतिनिधि ने वीणा देवी का नामांकन रद करने का अनुरोध किया था। इस पूरे मामले को लेकर वहां घंटों हाई-वोल्टेज ड्रामा भी हुआ था। आखिरकार निर्वाची पदाधिकारी ने आपत्ति को खारिज करते हुए वीणा के नामांकन को वैध करार दिया था।
यह पूरा मामला वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव के वक्त का है। वीणा देवी उस वक्त चुनाव में लालगंज से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं थी। कमालपुर निवासी रामनरेश पासवान ने 24 फरवरी 2005 को वीणा देवी एवं उनके पति एमएलसी दिनेश सिंह के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी थी। प्राथमिकी में मारपीट, लूटपाट एवं जाति सूचक गाली देने का आरोप लगाया गया था। इस मामले में उनके अधिवक्ता ने सुबह करीब 9 बजे न्यायालय में बेल की अर्जी दाखिल की। करीब 10 बजे वीणाकोर्ट में पेश हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने वीणा को 10-10 हजार के दो मुचलके पर जमानत दे दी।
कोर्ट से वीणा को जमानत मिलते ही उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गयी। जमानत मिलने के बाद मीडिया से बात करते हुए खुशी का इजहार किया और कहा कि उन्हें न्यायापालिका पर पूरा भरोसा है। इस केस की उन्हें जानकारी तक नहीं थी। 2005 के बाद वे दो-दो बार चुनाव लड़ चुकी हैं। विधानसभा में सदस्य रह चुकी हैं। ऐसे में उन्हें फरार कैसे कहा जा सकता है। कहा विरोधी हताश हो चुके हैं। उनकी हताशा का ही परिणाम है कि वे इस तरह का हथकंडा अपना रहे हैं।