50 प्रगतिशील किसानों को दिया गया प्रशिक्षण
संवाद सूत्र सहदेई बुजुर्ग (वैशाली) बुधवार को उद्यान निदेशालय कृषि विभाग की ओर से सहदेई
संवाद सूत्र, सहदेई बुजुर्ग (वैशाली):
बुधवार को उद्यान निदेशालय कृषि विभाग की ओर से सहदेई बुजुर्ग प्रखंड के पहाड़पुर तोई गांव स्थित सेंटर आफ एक्सिलेंस फार फ्रूटस केंद्र में विशेष उद्यानिक फसल योजना के तहत सेव का क्षेत्र विस्तार योजना के तहत 50 प्रगतिशील किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही प्रयोग के तौर पर दर्जन भर हरमन 99 किस्म के सेब का पौधा भी लगाया गया। इस प्रशिक्षण को कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह एवं कृषि सचिव डा. एन श्रवण कुमार भी प्रशिक्षण को जूम के माध्यम से ऑनलाइन संबोधित किया।
जानकारी के अनुसार विशेष उद्यानिक फसल योजना के तहत सेब का क्षेत्र विस्तार योजना के तहत वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, भागलपुर, कटिहार और औरंगाबाद जिला के 50 प्रगतिशील किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण का शुभारंभ उद्यान निदेशालय के निदेशक नंद किशोर के द्वारा किया गया। प्रशिक्षण में जुम के माध्यम से कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह और कृषि सचिव डा. एन श्रवण कुमार ने वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगुसराय, भागलपुर एवं औरंगाबाद के प्रगतिशील कृषकों के साथ बिहार में सेब की खेती विषय पर चर्चा की। सेब की हरमन-99 किस्म के बारे में गुजरात से आए हुए राष्ट्रीय नवप्रवर्तन के डा. पार्थ कुमार देव ने विस्तार से जानकारी दिया। कृषि मंत्री और कृषि सचिव के द्वारा पूछे गए सवालों पर पार्थ कुमार देव के द्वारा जानकारी दी गयी की हरमन 99 प्रजाति सेब की खेती पूरे बिहार में की जा सकती है। क्योंकि यह 45-48 डिग्री तापमान सहन कर सकता है। सेब की खेती के लिए विभिन्न जरूरतों तथा इसके कटाई-छटाई के बारे में कृषकों के साथ जानकारी साझा की गई। प्रशिक्षण के दौरान जिला के पातेपुर के प्रगतिशील किसान संजय कुमार से भी कृषि मंत्री ने अनुभवों के बारे में जाना।
संजय कुमार ने बताया कि वह पिछले 3-4 वर्षो से सेब की खेती करते आ रहे है। कृषि मंत्री और कृषि सचिव द्वारा निर्देश दिया गया कि योजना अंतर्गत चुने गये 7 जिला के अलावा अन्य प्रक्षेत्रों के कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिकों की देख-रेख में सेब की खेती करवाया जाय। उन्होंने बताया कि सेब की खेती यदि अच्छे तरीके से की जाए तो कृषकों की आमदनी कई गुणा तक बढ़ सकती है। राकेश कुमार उपनिर्देशक उद्यान, उद्यान निदेशालय के योजना के बारे में जानकारी दिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन नितेश कुमार राय ने किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन सेंटर के परियोजना पदाधिकारी प्रशांत कुमार ने किया। इस कार्यक्रम में डा. अभय कुमार गौरव, ओम प्रकाश मिश्रा, शम्भू प्रसाद, विनोद कुमार, राजेश कुमार सिंह, आलोक कुमार, अंकित उपाध्याय, रामवीर कुमार चौरसिया, चन्द्र प्रकाश शर्मा, धर्मवीर कुमार, गणेश कुमार आदि उपस्थित रहे। सेव की खेती के बारे में दी गई जानकारी सेव की खेती जो अब तक ठंडे क्षेत्र में ही होती थी वह अब वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगुसराय, भागलपुर, कटिहार एवं औरंगाबाद जिले में भी की जाएगी। इन जिलों के किसानों को सेव की खेती के बारे में बताया गया। उन्हें बताया गया कि सेब ठंडे क्षेत्र का फसल है। इसलिए इसका उत्पादन बिहार में नहीं होता था। लेकिन इस योजना के तहत उपलब्ध कराया जाने वाला किस्म हरिमन-99 गर्म क्षेत्रों के लिए है। इसके लिए कोई चिलिग या बर्फ की जरूरत नहीं है। यह मैदानी क्षेत्रों जहां मई-जून में तापमान 40 डिग्री से 47, 48 डिग्री तक जाता है। आसानी से सफलता पूर्वक फल देता है। पौधारोपण का उपयुक्त समय दिसंबर से फरवरी तक है। 434 मीटर के दूरी पर प्रति हेक्टेयर में कुल 625 पौधे लगाए जाते है। बिहार में सेब की खेती का इकाई लागत 2, 46, 250 रु. प्रति हेक्टेयर है। जिसमें 50 प्रतिशत यानि 1, 23, 125 रु. सहायतानुदान उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग, बिहार सरकार द्वारा दिया जाता है। सेब के पौधे में फलन तीसरे वर्ष से प्रारंभ हो जाता है। साधारण पांच वर्ष पुराने पौधे से 20-40 किलो फल प्राप्त किया जा सकता है। पांच वर्षों में अठारह लाख पचहत्तर हजार रु. आय प्राप्त की जा सकती है।