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AMAZING : इस गांव की रक्षा करते चमगादड़, शुभ कार्य से पहले होती पूजा

बिहार के वैशाली जिला में एक गांव है सरसई। यहां के लोग चमगादड़ों की देवदूत मानकर पूजा करते हैं। वे उन्हें गांव का रक्षक मानते हैं। इन चमगादड़ों को देखने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 09 Jan 2017 07:19 AM (IST)Updated: Tue, 10 Jan 2017 10:49 PM (IST)
AMAZING : इस गांव की रक्षा करते चमगादड़, शुभ कार्य से पहले होती पूजा

पटना [अमित]। क्या चमगादड़ किसी की रक्षा कर सकते हैं? यकीन नहीं हो तो बिहार के इस गांव चले जाइए। यहां के लोगों का विश्वास है कि एक खास जगह हरने वाले चमगादड़ उनकी रक्षा करते हैं। ग्रामीण कोई भी शुभ कार्य इन चमगादड़ों की पूजा किए बगैर नहीं करते हैं। बिहार के वैशाली जिला का यह गांव है सरसई (रामपुर रत्नाकर)। यहां इन चमगादड़ों को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है।

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बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड में कए गांव है 'सरसई' (रामपुर रत्नाकर), जहां के लोग चमगादड़ों की पूजा करते हैं। वे मानते हैं कि चमगादड़ उनकी रक्षा भी करते हैं। मान्यता है कि चमगादड़ समृद्धि की प्रतीक देवी लक्ष्मी के समान हैं।

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मध्यकाल में आए थे चमगादड़

अनुश्रुतियों के अनुसार मध्यकाल में वैशाली में महामारी फैली थी। इस कारण बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। इसी दौरान यहां बड़ी संख्या में चमगादड़ आए और यहीं के होकर रह गए। इसके बाद यहां किसी प्रकार की महामारी कभी नहीं आई।

तालाब के पास है बसेरा

गांव के एक प्राचीन तालाब के पास लगे पीपल, सेमर एवं बथुआ के पेड़ों पर इन चमगादड़ों का बसेरा है। ग्रामीणों के अनुसार इस प्राचीन तालाब का निर्माण तिरहुत के राजा शिव सिंह ने वर्ष 1402 में करवाया था। करीब 50 एकड़ में फैले इस भू-भाग में कई मंदिर भी हैं।

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लगातार बढ़ रही संख्या
ग्रामीणों के अनुसार ये चमगादड़ अब तालाब के आसपास के पेड़ों से अन्य पेड़ों पर भी फैल रहे हैं। सरसई पंचायत के मुखिया चंदन कुमार बताते हैं कि इन चमगादड़ों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। कुछ चमगादड़ों का वजन पांच किलोग्राम तक है।

अपरिचित के आने पर चिल्लाते

कुछ ग्रामीणों के अनुसार रात में गांव में किसी भी बाहरी व्यक्ति के आने पर ये चमगादड़ चिल्लाने लगते हैं, जबकि ग्रामीणों पर ये नहीं चिल्लाते। इससे लोंगों को किसी बाहरी व्यक्ति के अाने की जानकारी मिल जाती है।

देखने अाते पर्यटक

ग्रामीणों के अनुसार गांव में इतनी बड़ी संख्या में चमगादड़ों का वास अभूतपूर्व है। इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कराने के लिए पिछले 15 वर्षों से प्रयास जारी है। ग्रामीण इस बात से खफा हैं कि चमगादड़ों को देखने के लिए यहां सैकड़ों पर्यटक प्रतिदिन आते हैं, लेकिन सरकार ने उनकी सुविधा के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।


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