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मकर संक्रांति का त्योहार आज, दिन भर गुलजार रहा

मकर संक्रांति का त्योहार गुरुवार को जिले में हर्षोल्लास मनाने की व्यापक तैयारी की गई है। वर्षो बाद इस बार सभी जगहों पर एक ही दिन 14 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 10:48 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 10:48 PM (IST)
मकर संक्रांति का त्योहार आज, दिन भर गुलजार रहा
मकर संक्रांति का त्योहार आज, दिन भर गुलजार रहा

- सभी जगहों पर आज एक ही दिन 14 जनवरी को मनाया जा रहा त्योहार

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जागरण संवाददाता, हाजीपुर :

मकर संक्रांति का त्योहार गुरुवार को जिले में हर्षोल्लास मनाने की व्यापक तैयारी की गई है। वर्षो बाद इस बार सभी जगहों पर एक ही दिन 14 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। सामानों की खरीदारी को लेकर पूरे दिन बाजार में काफी चहल-पहल रही। लोगों ने त्योहार के लिए दही-चूड़ा, तिलकुट, लाई समेत अन्य सामानों की खरीदारी की। वहीं हाजीपुर के प्रसिद्ध बाबा पतालेश्वरनाथ एवं सोनपुर के बाबा हरिहरनाथ समेत तमाम मंदिरों में भी पूजा-पाठ की खास तैयारी की गई है। मकर संक्रांति के साथ ही गुरुवार को खरमास का अंत हो जाएगा एवं सभी शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।

पंडितों ने बताया कि धर्मशास्त्र के अनुसार यदि दिन में सूर्य का संक्रमण होता हैं तो संक्रांति का पुण्यकाल उसी दिन रहता हैं। इस बार 14 जनवरी को दोपहर दो बजकर 5 मिनट पर सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश हो रहा है। जिससे गुरुवार को ही मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। मकर संक्रांति को लेकर बुधवार को

दिनभर बाजारों में चहल-पहल रही। मकर संक्रांति को ले बाजार में तिलकुट, दही एवं सब्जियों की दुकानों पर दिनभर रौनक रही। इस दिन लोग दही-चुड़ा एवं तिलकुट खाते हैं। साथ ही कुछ विशेष किस्म का सब्जी घरों में बनाया जाता हैं। इसे लेकर सब्जी मंडी में काफी भीड़ देखी गई और सब्जियों के दाम भी आसमान छू रहे थे।

स्नान-दान एवं तिल का है विशेष महत्व

मकर संक्रांति के दिन स्नान दान का महत्व है। लोग स्नान करने के बाद तिल का दान भी करते हैं एवं तिल से बने खाद्य पदार्थों को ग्रहण करते हैं। भोजन में दिन भर दही-चुड़ा खाने का प्रचलन है। सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही शुभ मुहूर्त शुरू हो जाते हैं। खरमास के बाद जब सूर्य का मकर संक्रांति के दिन मकर राशि में प्रवेश होता है, उस दिन से सूर्य का उत्तरायण काल कहा जाता है।धर्मशास्त्रों में सुर्य के उत्तरायण का काफी महत्व है। इसे देवताओं का दिन कहते हैं। सभी रुके हुए शुभ एवं मांगलिक कार्य इस दिन से शुरू हो जाते हैं। पंडितों का क्या है कहना पातेपुर संस्कृत विद्यालय के पूर्व प्राध्यापक पंडित देवेंद्र झा बताते हैं कि 14 जनवरी को मिथिला पंचांग के अनुसार सूर्योदय के बाद 18 दंड 21 पल पर अर्थात दोपहर बाद 2 बजकर 5 मिनट पर धनु से मकर राशि में सूर्य का संक्रमण हो रहा हैं। जिसे मकर संक्रांति कहा जाता है। उसी समय से सूर्य उत्तरायण होते हैं अर्थात देवताओं का दिन प्रारंभ होता हैं। अत: इस संक्रांति को लोग अपनी-अपनी परम्परा के अनुसार मानते एवं मनाते आ रहे हैं। वशिष्ठ संहिता के अनुसार सूर्य की संक्रांति से पहले एवं बाद में कुल मिलाकर सोलह दंड अर्थात 6 घंटा 24 मिनट का पुण्य काल होता है, जिसमें स्नान-दान करना श्रेष्ठकर होता है। इस वर्ष बृहस्पतिवार को प्रतिपदा तिथि की समाप्ति अर्थात 9 बजकर 24 मिनट के बाद संक्रांति जन्य कार्य करना चाहिए। चूंकि द्वितीया तिथि में संक्रांति हो रही हैं इसलिए 9 बजकर 24 मिनट से पुण्यकाल मानना कल्याणकारी होगा।

बाजारों में इस प्रकार रहे खाद्य पदार्थों के दाम दही -100-150 रुपया प्रति किलोग्राम

चुड़ा - 40 - 200 रुपया प्रति किलोग्राम

शक्कर - 50 रुपया प्रति किलोग्राम

तिलकुट 150-500 रुपया प्रति किलोग्राम

लाई 70-80 रुपया प्रति किलोग्राम

फूलगोभी 20-25 रुपया प्रति किलोग्राम

पत्तागोभी 25 - 30 रुपया प्रति किलोग्राम

हरा मटर 30-40 रुपया प्रति किलोग्राम

टमाटर - 20-30 रुपया प्रति किलोग्राम

कोहरा 30-40 रुपया प्रति किलोग्राम

कद्दू 20-30 रुपया प्रति पीस


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