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जनकपुर जाने के दौरान भगवान राम आए थे वैशाली

जब सम्पूर्ण भारत राममय हो गया है ।वैशाली में भी लोगों का उत्साह चरम पर है ।मन्दिरों के अलावे लोग अपने घरों पर भी दिप प्रज्वलित कर भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा प्रगट करेंगे ।इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है ।वैशालीआस्था एबम धर्म का भी प्रतीक है ।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 05:50 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 05:50 PM (IST)
जनकपुर जाने के दौरान भगवान राम आए थे वैशाली
जनकपुर जाने के दौरान भगवान राम आए थे वैशाली

वैशाली :

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अयोध्याजी में बुधवार को होने वाले राम मंदिर के शिलान्यास को लेकर आज जब सम्पूर्ण भारत राममय हो गया है, तो वैशाली में भी लोगों का उत्साह चरम पर है। यहां मन्दिरों के अलावा लोग अपने घरों पर भी दीप प्रज्वलित कर भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा निवेदित करेंगे। इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। वैशाली आस्था एवं धर्म का भी प्रतीक भी है। जनतंत्र की जननी एवं स्वयं नारायण के चरणों से पवित्र भूमि ने कभी अपनी गरिमा का चरम देखा था। जगत जननी माता सीता के स्वयंवर में अपने गुरु विश्वामित्र एवं अनुज लक्ष्मण के साथ जनकपुर जाने के समय गंगा नदी को पार करने से भगवान राम यहां पधारे थे। वैशाली की गगनचुंबी इमारतों को देखकर उन्होंने गुरु विश्वामित्र से पूछा था कि यह कौन सा नगर है। इसका वर्णन वाल्मीकि रामायण के बालकांड के 45वें, 46वें एवं 47वें सर्ग में किया गया है। गुरु विश्वमित्र ने उन्हें बताया कि इक्ष्वाकु वंश के सुमति यहां के राजा हैं। वैशाली जो उस समय विशालापुरी के नाम से जानी जाती थी, भगवान पहुंचे थे। विशालापुरी में उनका भव्य स्वागत किया गया।

कहते हैं कि सम्पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ उन्हें वर्तमान बावन पोखर के निकट बने राजकीय अतिथि गृह में ठहराया गया। रात्रि विश्राम के पश्चात दूसरे दिन वहां बने मन्दिर में पूजा अर्चना कर जनकपुर की ओर प्रस्थान किया था। कहा जाता है कि जनकपुर प्रस्थान के पूर्व उन्होंने भगवान चौमुखी महादेव की पूजा अर्चना की थी। इस कारण यह स्थल हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र बन गया।बाद में वहां एक भव्य मंदिर निर्माण कर उनकी मूर्ति स्थापित कर पूजा-अर्चना प्रारंभ की गयी। चैत्र रामनवमी को मेला लगना प्रारंभ हो गया। यह परम्परा आज भी चली आ रही है।

इतिहासकारों के अनुसार तेरहवीं एवं चौदहवीं शताब्दी में वैशाली के मंदिरों को भी नुकसान पहुंचाया गया था। सन 1804 में महान हिन्दू संत तैलंग स्वामी के शिष्य खाकी बाबा घूमते हुए वैशाली आये। उनकी इच्छा से श्रद्धालुओं ने भगवान राम का एक मंदिर का निर्माण किया जो आज हरिकोटरा मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर की हो रही सजावट, आज जलाए जाएंगे दीप वैशाली के हरिकोटरा मंदिर में पूजा-अर्चना की विशेष तैयारी की गयी है। हालांकि कोविड-19 को लेकर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं रहेगी लेकिन यहां विशेष पूजा की तैयारी हो रही है। इस मौके पर वैशाली में दीपोत्सव भी मनाया जाएगा। वैशाली के लोगों का कहना कि प्रभु राम सबके हैं और सभी प्रभु राम के हैं। दीपोत्सव मनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे।


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