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छह बेड के सहारे साढ़े तीन लाख की आबादी

प्रखंड क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराइ्र हुई है। आबादी के अनुरूप यहां इंतजाम नहीं है। यह इससे ही स्पष्ट होता है कि प्रखंड की साढ़े तीन लाख की आबादी महज छह बेड वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 06:44 PM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 05:06 AM (IST)
छह बेड के सहारे साढ़े तीन लाख की आबादी
छह बेड के सहारे साढ़े तीन लाख की आबादी

संवाद सूत्र, बिदुपुर:

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प्रखंड क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराइ्र हुई है। आबादी के अनुरूप यहां इंतजाम नहीं है। यह इससे ही स्पष्ट होता है कि प्रखंड की साढ़े तीन लाख की आबादी महज छह बेड वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर है।

पीएचसी में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। पकौली एवं धबौली स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल तो और भी बुरा है। भवन के अभाव में समस्याओं का अंबार है। इसका खामियाजा मरीज तो उठाते ही हैं, डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी भी कम परेशान नहीं रहते। इस पीएचसी को उत्क्रमित कर 30 बेड वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने की घोषणा अब तक मूर्त रूप नहीं ले सकी है।

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. संजय दास कहते हैं कि वर्तमान में इस अस्पताल में पांच नियमित डॉक्टर हैं। इसके अलावा एक अनुबंध वाले, एक आयुष एवं एक दंत चिकित्सक भी पदस्थापित हैं। परन्तु आबादी के हिसाब से बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। पकौली एपीएचसी में एक एमबीबीएस और एक आयुष डॉक्टर हैं। वे ही धबौली एपीएचसी को भी देखते हैं। दवाओं की बात करें तो अस्पताल में सर्दी-खांसी और एलर्जी जैसी साधारण बीमारियों की दवा भी नहीं है।

इस अस्पताल में राघोपुर, हाजीपुर एवं देसरी प्रखंड के भी मरीज इलाज के लिए पहुंचते है। आउटडोर में प्रतिदिन दो सौ से ढाई सौ मरीज आते हैं। इमरजेंसी में भी एक दर्जन से अधिक ही मरीज रहते हैं। प्रसव के लिए भी काफी संख्या में महिलाएं इस अस्पताल में आती हैं। लेकिन संसाधन के अभाव में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

दो वर्ष पूर्व विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अस्पताल का निरीक्षण किया था। तब उन्होंने इसे 30 बेड वाले अस्पताल में उत्क्रमित कराने का आश्वासन दिया परंतु आज तक ऐसा हुआ नहीं। पीएचसी में नहीं है एंटी रैबीज की सुई

बिदुपुर पीएचसी में लगभग एक माह से एंटी रैबीज सूई नहीं है। कुत्ता या बिल्ली काटने पर वैक्सीन लगवाने के लिए मरीज अस्पताल का चक्कर लगाते-लगाते थक जाता है। आबादी के हिसाब से यहां प्रति सप्ताह करीब 40 सूई की जरूरत है लेकिन यहां तो माह में 40 सूई की आपूर्ति की जाती है। कभी-कभी दो माह बाद सूई की आपूर्ति की जाती है। स्टोर कीपर मनोज मालाकार ने जिला अस्पताल के स्टोर से एंटी रैबीज सूई की मांग की लेकिन नहीं मिल पाई। चकमैगर निवासी सूरज राय एवं गुड्डू कुमार तथा आमेर निवासी शिवजी राय ने आरोप लगाया कि वे लोग सूई के लिए काफी परेशान हैं। एक पखवाड़ा पूर्व कुत्ते ने काटा, लेकिन आज तक उन्हें इंजेक्शन नहीं मिल पाया।


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