मैं रोया परदेश में, मां का भींगा प्यार..
वैशाली। मैं रोया परदेश में, मां का भींगा प्यार, दिल से दिल की बात हुई, बिन चिट्ठी बिन तार..
वैशाली। मैं रोया परदेश में, मां का भींगा प्यार, दिल से दिल की बात हुई, बिन चिट्ठी बिन तार..। मशहूर शायर निदा फाजली की ये पंक्तियां अब एक यादगार बन कर रह जाएगी। सोमवार को इस सुप्रसिद्ध शायर के आकस्मिक निधन पर साहित्य जगत शेर-ओ-शायरी के प्रेमियों के बीच शोक की लहर दौड़ गई।
दिवंगत फाजली ने न केवल आपसी रिश्तों, संवेदनाओं और सामाजिक परिस्थितियों सहित राजनीति के गूढ़ रहस्यों को भी अपनी शेर-शायरी के माध्यम से उजागर किया। हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिसे भी देखना कई बार देखना..। उनका ये शेर आज के परिवेश में स्वार्थ्य के रिश्ते और व्यक्ति में छिपे चालाकियों को उजागर करता है। ऐसे ही उनके लिखे अनगिनत गजलों ने मकबूलियत की बुलंदी को छुआ।
लगभग सभी विख्यात गजल गायकों ने उनके नज्म को अपने अंदाज से संगीत प्रेमियों के बीच प्रस्तुत की। उनके निधन पर सोनपुर के गजल प्रेमी मदन ¨सह, एलआईसी के पूर्व विकास पदाधिकारी केडी ¨सह, अवकाश प्राप्त टीटीआई दीनबंधु ¨सह सहित अनेक संगीत प्रेमियों ने अपनी गहरी संवेदना प्रकट करते हुए शेरो-शायरी की दुनिया में अपूरणीय क्षति बताया है।