आधे-अधूरे स्वरूप में भी दर्शकों को आकर्षित कर रहा हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला
संवाद सहयोगी सोनपुर विश्व विख्यात हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला अपने आधे-अधूरे स्वरूप में भी दश
संवाद सहयोगी, सोनपुर :
विश्व विख्यात हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला अपने आधे-अधूरे स्वरूप में भी दर्शकों की भारी भीड़ को आकर्षित कर रहा है। यदि सब कुछ सामान्य होता और सरकार की अनुमति मिल गई होती तब इस समय यह मेला अपने पूर्ण यौवन पर होता। कार्तिक पूर्णिमा को बीते लगभग 15 दिन हो चुका है। मेले की सरकारी अवधि ही 32 दिनों का हुआ करता था। इस बीच मेले की चकाचौंध में लगातार निखार आते चला जाता था। गत वर्ष कोरोना लहर के कारण यह मेला नहीं लगा। इन 12 महीनों में ही मेले में कारोबार करने वाले छोटे छोटे उद्यमियों, कारोबारियों तथा दुकानदारों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई। छोटे-बड़े सभी कारोबारियों को उम्मीद थी कि इस वर्ष मेला पूरे तामझाम के साथ लगेगा और उनके आर्थिक नुकसान की भरपाई हो जाएगी। मेला को लेकर सरकारी नीतियों ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। कोरोना संक्रमण की संभावनाओं को देखते हुए लोगों के अनेक प्रयास के बावजूद अंत तक सरकार ने हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला लगाए जाने की अनुमति नहीं दी। दूसरी ओर मेला में कारोबार करने वाले व्यवसायियों एवं दुकानदारों के सब्र का बांध टूट गया और मेला के सरकारी भू-भाग को छोड़कर सभी स्थानों पर मेला लग गया। मेला भी ऐसा वैसा नहीं बल्कि स्वयं में सब कुछ समेटे हुए आकर्षक मेला। अधिकांश दुकानें चिड़िया बाजार रोड में उससे जरा भी कम नखास के आगे वाले भाग में नहीं। यहां निजी मकानों में उत्तर प्रदेश के कई जिलों के गर्म कपड़ों के बड़े दुकानदार अपनी अपनी दुकानें सजाए हुए हैं। मेले में लगातार भीड़ बनी हुई है। अभी केवल देखने वालों की नहीं बल्कि बड़ी संख्या में खरीदारी करने वालों की है। आश्चर्यजनक यह है कि इस वर्ष उम्मीद से ज्यादा फुटपाथ की दुकान है, नखास एरिया में लगी हुई है। यह एक बहुत बड़ा बाजार सा हो गया है। फुटपाथ के दुकानदारों की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ भी है। इधर मौसम का मिजाज बदलने के साथ ही गर्म कपड़ों की बिक्री भी जमकर हो रही है। सुबह से ही मेले में भीड़ का जुटनी शुरू हो जाती है। यह सिलसिला देर शाम तक चलता है। शनिवार और रविवार का सभी दुकानदारों को इंतजार रहता है। इस दिन उनके आशा के अनुरूप बिक्री होती है।